पगडंडी, ढर्रा, सड़क, हाईवे, रनवे तक का है मेरा सफर
मुझे मत सिखाओ मैंने सब देखा है, गाँव हो चाहे शहर-
चार बातों में रूठ जाना, चार बातों में मान जाना
हम समझते हैं इस चार दिन की जिंदगी में
चार लोगों की अहमियत
आखिर मरने के बाद भी, चार लोगों के कंधे पर है जाना-
उनकी भी चेष्ठा है महफ़िल को लूट लेने की
हम भी वही चाहते हैं, जो वो चाहते हैं
पर थोड़ा सा मेरा उनका अंदाज़ अलग है
वह लोगों की नजरों में रहना चाहते हैं
और हम उनकी नजरों में खोना चाहते हैं-
जिन्हें कभी खुदा के होने पर भी संदेह था
अब वे खुद को खुदा समझने लगे
वक़्त और हालात क्या बदले उनके
वे तो अपने जज्बात भी बदलने लगे-
मैं किसी राजनीतिक पार्टी का नहीं हूँ
मेरा धर्म ही मेरी पार्टी है और मुझे पार्टी करना पसन्द है
अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के पद मैं जेब में रखता हूँ
इसलिए अच्छा होगा अपनी औकात में रहो-
तुम्हारे मुस्कुराने पर तो मैंने दिल दे दिया
क्या तुम हमें देखकर यूँ ही मुस्कुराते रहोगे
और मैं तो तुम्हारी हाँ में हाँ मिलाता रहूँगा
क्या तुम भी मेरी हाँ में हाँ मिलाते रहोगे
मोहब्बत करके औरों से भी दिल लगाते हैं लोग
पर क्या तुम हमेशा हमीं से दिल लगाते रहोगे
बार बार सवाल पूछता है ये मेरा दिल
क्या तुम मेरा हमेशा यूँ ही साथ निभाते रहोगे-
आजा मैं तुझे दूसरा आसमान दिखाऊँगा
इश्क है तेरा कितना बेइमान बताऊँगा
तेरी हर बात पर यकीन किया था मैंने
अब मैं तेरी कसम पर भी येतबार नहीं कर पाऊँगा-
मेरा तुझपे नजरे टिकाए रखना
और तेरा भी नजरे मिलाये रखना
पहले ये बताओ तुम्हें मैं पसंद हूँ
या यूँ ही चाहती हो भरमाये रखना
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निपटना है तो खुद से निपटो
दुश्मन तुम्हारा यहाँ कोई नहीं है
किसी और को काबू में क्या किया जाये
जब खुद पर ही काबू कोई नहीं है-
मैंने मोहब्बत की मिठाई जो घोली थी
आज पीने बैठा तो शराब हो गई
मेरी कामयाबी तक तो सब ठीक था
पर नाकामयाबी पर खराब हो गई-