देख मेरे नजरिए से, तुझे एक आईना दिखेगा, यकीनन तश्वीर तुम्हारी होगी, पर अश्क मेरा भी दिखेगा !
तुम भी खामोश होगी, मैं भी खामोश ही रहूंगा, पर नजरें बोल रही होगी, राज दिल के खोल रही होगी!
जुदा होना भी मुमकिन नही, हो नही तुम ये भी यकीन नही, शायद मिलें किसी जरिए से, एक बार देख मेरे नजरिए से !-
तुम एक मंजिल हो और आकाश एक राही.
संग तुम्हारे एक ख्वाब पिरोना है, डूबकर तुझमें, खुद को खोना है, कंधे में सिर रख, मुझे सोना है, हर वजूद में तुम्हारा मुझे होना है!
प्यार की बारिश में गमों को भुलाना है, बेफिक्र ख्वाबो को नींदों में सुलाना है, हर रास्ते को तुमसे मिलाना है, हर फैसले को मिलकर जिताना है!
हर मोड़ में इस प्यार को निभाना है, हर रात को चांदनी रौशनी से सजाना है, अपने दरमियां प्यार के दियें जलाना है, नज़रों को तुम्हारा दीदार कराना है!-
एक विश्वास था मन में अंदर, जो साकार होते दिख रहा, श्रीराम के आगमन का सच, आज के अस्तित्व में लिख रहा !
प्रार्थना वहीं है जो पहले थी, जनमानस का कल्याण करना, दुखों से मिटती उम्मीदों में, आशीर्वाद देकर प्राण भरना !
प्रभु के आगमन की ज्योति से, काली रात का अंधेरा मिट रहा, श्रीराम के आगमन का सच, आज के अस्तित्व में लिख रहा !-
एहसासों को पतंग के सहारे, हवा के हवालों से भेजा है, तुम्हारी पतंग के पास मैंने, मन के खयालों को भेजा है!
आज पतंग को मैंने अपनी, तुम्हारी तश्वीरों से सहेजा है, तुम्हारी डोर में उलझ रहा जैसे, मेरे अरमानों का कोई रेशा है!
तुम्हारे संग रहने या दूर उड़ जाने, जैसे कई सवालों को भेजा है, तुम्हारी पतंग के पास मैंने, मन के खयालों को भेजा है!-
भले खामोश रहो पर साथ रहो, तुम्हें महसूस करके भी जी लेंगे, भले नाराज़ रहो पर पास रहो, तुम्हें सामने देखके भी जी लेंगे !
यकीनन दिल टूटा है, घाव गहरे है, पास बैठों तो घाव सिल लेंगे, आंगन में बैठे उदास कुछ चेहरे है, तुम हंस दो तो फूल खिल लेंगे!
तुम्हारी नाराजगी में भी मुस्कुरा के, गम के आंसू खुशी से पी लेंगे, भले खामोश रहो पर साथ रहो, तुम्हें महसूस करके भी जी लेंगे!-
उनसे कुछ यू आंख लड़ी पहली मुलाक़ात में..
के जैसे उस रोज़ पूनम सा चांद निकला अमावस की रात में..
यू तो ज़्यादा बाते तो नही हुई थी उस रात हमारी ..
फिर भी जाने कब फस गए हम उनके जुल्फो के जाल में..
वैसे तो मिली थी वो मुझे शिफाखाने में मुर्शद..
पर कंबख्त मर्ज ए मोहब्बत दे गाए उन आंखों की मुलावक में.!!!-
बीतते साल का आख़िरी दिन सही तुम जाने क्यूँ कभी मेरे लिए पुरानी नहीं होती, साल बदल जाएगा तो भी मेरा प्रेम मेरी अकुलाहट तुम्हारे लिए वही और उतनी ही रहेगी, या सच कहूँ तो बढ़ती ही जायेगी हमेशा जैसे.
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जितनी तुमनें दूरियां बढ़ाई, उतनी मैंने नज़दीकियां बढ़ाई, मैंने माफी की उम्मीद भी जगाई, पर तुम्हारी आंखें ये समझ न पाई !
तुमको यकीनन पानी थी वो मंजिल, जो रिश्ता तोड़ने के लिए काफी थी, सब भूलकर दूर जाने से अच्छा, गले लगाकर एक छोटी सी माफी थी !
एक भी दिन ऐसा न गुजरा जब, दिल को तुम्हारी तश्वीर न दिखाई, मैंने माफी की उम्मीद भी जगाई, पर तुम्हारी आंखें ये समझ न पाई !-
मां का आंचल, पापा का हाथ छोड़, विदा होकर नयी दुनिया में जाना, कितना मुश्किल होता है दूर होके, पीहर को छोड़ नये घर को अपनाना !
घर की ढेरों यादों आंखों में रखकर, अंदर ही अंदर रोना और सब भूलाना, काश कोई रोक ले बाहों में भरके, पर जाना ही है ये खुद को समझाना !
कितना मुश्किल होता है आंखों में, विदाई के आंसुओं को संग लेकर आना, मां का आंचल, पापा का हाथ छोड़, विदा होकर नयी दुनिया में जाना !-
लम्बी तलाश का नतीजा है, कि तुम जैसा यार मिला मुझे, हर दिन नया एहसास और, खुदसे ज्यादा प्यार मिला मुझे !
बंद आंखों में तेरी तश्वीर संग, तेरा ही इंतजार मिला मुझे, और आंखों के सामने हमेशा, तेरा ही ऐतबार मिला मुझे !
जिस दिन हाथ थामा तो जैसे, सुकून का अंबार मिला मुझे, लम्बी तलाश का नतीजा है, कि तुम जैसा यार मिला मुझे!-