Trilok Kumar   (triलोक)
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Joined 19 May 2020


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Joined 19 May 2020
17 SEP 2022 AT 1:30

लम्हे

बरसो बाद कुछ लिखने जा रहा हूं, नए सफ़र में
अपने लिए समय निकाल रहा हूं।।
खो सा गया हू दिमागी कसरत से,
अपने लिए कुछ लम्हें चुरा रहा हूं।।

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21 JUN 2022 AT 0:09

यादें

रास्ते अलग होते जा रहे है पल पल जिंदगी में
बस खट्टी मीठी यादें, बटोरे जा रहे है।।

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6 APR 2022 AT 20:56

खालीपन

खालीपन सा लग रहा है जिंदगी में कुछ दिनों से हर पल।
दूर करने की आस में, मैखाने जा रहा हूं।।

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12 FEB 2022 AT 3:53

धुंधलापन

धुंधलापन सा छा रहा है जिन्दगी में आजकल ।
बस तेज़ आंधी का इंतजार सा रहता है।।
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11 FEB 2022 AT 1:09

सब्र

युही ना हो परेशान ये वक्त भी निकल जायेगा।
सब्र के आगे तो वो भी पिगल जाता है,
इंसान कितना वक्त लगाएगा।।
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5 FEB 2022 AT 2:15

घाव

वक्त के साथ हर घाव भर जाता है।
बस उस घाव का निशान ज़िंदगी भर रहे जाता है।।
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3 FEB 2022 AT 2:04

छोर

बस छोर पर खड़ा हूं, एक बड़ी आस में
एक हवा का झोका आए, और उस पर ले जाए।।
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16 JAN 2022 AT 1:31

कलम

आज बहुत दिनों बाद कलम को हाथ लगाया है।
अपने जज्बातों को शब्दों के रूप मे दिखाया है।।
खो सी गई थी मेरी कलम इस भीड़ में कही।
आज किसी अपने ने लिखने को उकसाया है।।

भूल ही गया था, की लिख भी सकता हूं ।
अपने जज्बातों को कोरे कागज पर में।।
पर जिंदगी की भाग दौड़ ने याददाश को कमजोर बनाया है।
फिर एक कोशिश कर रहा हूं आज, कलम उठाने की।

कही लिखना भूल ना जाओ, अपने आप को भीतर से जगाया है।।

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13 SEP 2021 AT 22:28

बेबस

तेरे लिए बेबस नही बस मन मे एक खयाल है।
एक वादे से जुड़ा हूं बस उसका दरकार है।।

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11 SEP 2021 AT 0:43

राह

दूर तक चलने का वादा करके वो आगे निकल गए।
हम राह उनकी देखते हुए अकेले पड़ गए।।

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