जज़्बात महँगे हैं साहेब, लोग यहाँ सस्ते हैं
मुस्कुरा के मिलने वाले, पीछे आपके हंसते हैं
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Going against the flow is brave, but all rebels don’t end up changing the world
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माना के कहने को कुछ भी बाक़ी नहीं है, मगर फिर भी मैं अल्फ़ाज़ ढूँढता रहता हूँ
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Every monster has a Parrot that holds his vulnerability. It takes a bit to realise though
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ज़िंदगी इसी ग़लतफ़हमी में गुज़र गयी के वो मुस्कुरा रहा है तो मुझ से खुश ही होगा
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समझ कर भी कुछ किया नहीं तो उस समझ का क्या करोगे
झूठ से दिल तो बहल जाएगा मगर फिर सच का क्या करोगे
अजय पिल्लई
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मेरी ख़ता इतनी रही के मैं सब को अपना समझता रहा….सब मुसाफ़िर थे कोई हमराही नहीं
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हैं तारें किसी के, है चाँद किसी का
हमें जो मिला वो सब हंसी हंसी का
कोई तो वजह होगी इस अकेलापन की,
कुछ तो है जो अब तक हमने ना सीखा
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एक थे हज़ार थे, शिकायतों के ग़ुबार थे
जो शिकायतों से घिरा रहा, गिले बेशुमार थे
वो मैं और तुम जो कभी हम ना हुआ
एक सफ़र जो कहीं ख़त्म ना हुआ
किनारों से लगे मुझे, जो सच में मझधार थे
.....जो शिकायतों से घिरा रहा, गिले बेशुमार थे
चला बादलों से ऊँचे अरमान लिए
उड़ता रहा आँखों में आसमान लिए
हवा ही थी परों में पर उसके भी तो भार थे
.....जो शिकायतों से घिरा रहा, गिले बेशुमार थे
अंधेरों से उजालों तक की आस में
कई रात बीती नूर की तलाश में
जो दिए जलाए जागकर वो सुबह बेकार थे
.....जो शिकायतों से घिरा रहा, गिले बेशुमार थे
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फेंक कर ज़मीन पर पल भर में आईना तोड़ दिया
और अब हमसे पूछते हैं सच बोलना क्यों छोड़ दिया
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