Tinkesh Patidar   (Tinkesh Patidar)
1.2k Followers · 9.1k Following

read more
Joined 21 January 2022


read more
Joined 21 January 2022
8 APR 2023 AT 19:07

सुनो,

यदि जिंदगी ने दुबारा मौका दिया ना,
तो जरूर वैसा ही बन कर आऊंगा
" जैसा तुम चाहते हो "
पर इस बार मैं थोड़ा थक गया हूं यार
शायद खुद को साबित करते करते

Please leave me alone sometimes
Miss you always my LOVE
8/april/2023 🥀

-


24 FEB 2023 AT 16:13

अनमोल हिस्सा हों तूम जिंदगी का मेरी,
फिजूल लड़ाइयों में तुम्हें यूंही खर्च नही कर सकता मैं

-


7 OCT 2022 AT 20:33

🌻मन का युद्ध🌻

यादें कभी मिटती नही है।
बस हम ही भागते है।
उनसे दूर.....बहुत दूर

जैसे हमारी परछाई अंधेरे में गुम हो जाती है
फिर रोशनी में....
हमारे अस्तित्व को साक्ष करती है

ठीक वैसे ही "बीता कल भी"
आज में गुम हो जाता है
और बीच बीच में वर्तमान की गटनाऐं
यादों के ज़ख्मों को कुरेदती है।
और छोटे छोटे पल की खुशियां पल भर में
मन की तकलीफों में बदल जाती है।

फिर ना अतीत के जख्म भरते है,
ना ही वो राही अपने तय किए रास्तों पर चल पा रहा होता है।
मसला, मलाल, मरहम बस फिर बाहरी मन को सांत्वना देते है।
अंदर का युद्ध तो बस खुद को ही दिख रहा होता है।

-


12 SEP 2022 AT 9:09

शिकायतें ना इन तन्हा शामों से है,
ना इन खफा से दिख रहे पेड़ों से,
बस नाराजगी है तो इस ज़ालिम मौसम से,
कम्बकत जब भी बिगड़ता है तेरी याद दिला ही देता है ।।

-


29 JUN 2022 AT 19:43

सुनो,

आज आया था,
तेरे शहर में "एक अरसे बाद"

ये आज भी तेरी यादों से भरा है,

मौसम तो खराब नही था यहां का, पर जो किसी को दिखी नही,
आज वो बारिश भी हुई थी यहां, और गीला बस में ही हुआ था अकेला।।





-


27 JUN 2022 AT 16:07

जरुरी तो नहीं हर रिश्ते को नाम दिया जाएं,
कुछ बेनाम रिश्ते भी तो दिल को धड़काते है ना...!

-


1 JUN 2022 AT 19:52

कदम से कदम मिला कर, ताउम्र !
तुम्हारे पास बेठना है,
खामोशियों से खामोशियों की बात लिए, ताउम्र !

-


30 MAY 2022 AT 21:02

जैसे अब जुदाई का तूफान आना वाला है।
में भीगने वाला हूं बिन बारिश के यहां,
जैसे आसुओं के समंदर में सैलाब आने वाला है।

-


28 MAY 2022 AT 10:42

पर अब लफ्ज़ मोन है।
समझ पाओ तो समझ लो,
इन नीर से आसुवोँ में थोड़ा तो शोर है।

-


30 APR 2022 AT 11:16

आपकी नामौजुदगी में आपके होने का एहसास,
आज भी जिंदा है एक धूंधली याद बन कर |
कहने को तो सब पूरा है
पर महसूस करो अगर रिश्तों में तो,
सब अधूरा है बहुत कुछ बिखरा बिखरा सा है |
खुश तो सब है यहां,
पर खुशियों में आपकी कमी खलती है |
चाहे कोई त्योहार हो या हो कोई खास दिन,
कई बार आपकी याद में शाम भी ढलती है |
जिंदगी आगे कदम रख तो रही है,
पर रास्ते अनजान है और तजुर्बे कम |

पिछले 6 सालो में वक्त का बदलता फेर देखा है,
लोगों के बदलते रंगो को देखा है |
जिन संस्कारों की बदौलत इंसानियत झलकती थी,
वो आज भी व्यक्तित्व में जिंदा है |
जिस धागे में आपने परिवार को बांधे रखा था,
वो आज भी वैसा ही है |
कही दफा कोशिश भी की लोगो ने तोड़ने की,
पर धागे और संस्कारो ने इंसानियत की लाज रखी,
यहां एक बात सीखने को मिली,
उंगलियों से ज्यादा गहरी चोट मुट्ठी से दी जा सकती है
खेर वक्त का फेर था या किस्मत हमारी,
हर इंसान को खुदा बुलाता ही है,
पेड़ भी एक दिन पत्तियों से खाली हो गिरता ही है

दादू आपकी नामौजुदगी में
आपके होने का एहसास हमे आज भी है
इस बदलते वक्त में यादों का ठहराव बन कर |
Miss you dadu

-


Fetching Tinkesh Patidar Quotes