आपकी नामौजुदगी में आपके होने का एहसास,
आज भी जिंदा है एक धूंधली याद बन कर |
कहने को तो सब पूरा है
पर महसूस करो अगर रिश्तों में तो,
सब अधूरा है बहुत कुछ बिखरा बिखरा सा है |
खुश तो सब है यहां,
पर खुशियों में आपकी कमी खलती है |
चाहे कोई त्योहार हो या हो कोई खास दिन,
कई बार आपकी याद में शाम भी ढलती है |
जिंदगी आगे कदम रख तो रही है,
पर रास्ते अनजान है और तजुर्बे कम |
पिछले 6 सालो में वक्त का बदलता फेर देखा है,
लोगों के बदलते रंगो को देखा है |
जिन संस्कारों की बदौलत इंसानियत झलकती थी,
वो आज भी व्यक्तित्व में जिंदा है |
जिस धागे में आपने परिवार को बांधे रखा था,
वो आज भी वैसा ही है |
कही दफा कोशिश भी की लोगो ने तोड़ने की,
पर धागे और संस्कारो ने इंसानियत की लाज रखी,
यहां एक बात सीखने को मिली,
उंगलियों से ज्यादा गहरी चोट मुट्ठी से दी जा सकती है
खेर वक्त का फेर था या किस्मत हमारी,
हर इंसान को खुदा बुलाता ही है,
पेड़ भी एक दिन पत्तियों से खाली हो गिरता ही है
दादू आपकी नामौजुदगी में
आपके होने का एहसास हमे आज भी है
इस बदलते वक्त में यादों का ठहराव बन कर |
Miss you dadu
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