मंजर हज़ार देखे, समंदर हज़ार देखे,
दौलत-ए-इश्क के गरीब हज़ार देखे,
मिजाज़-ए-इश्क में मदहोश निगाहों में,
जन्नत से परे जन्नत के खवाब हज़ार देखे,
वस्ल-ए-यार की ख्वाहिश में उम्र गुजरी ,
नसीब से शिकस्त खाए नसीब हज़ार देखे,
कुबूल हो कर भी कुबूल ना हुई जो,
वो बदकिस्मत दुआएँ हज़ार देखे,
नर्म लहजों में सहमी शिकायतें,
नम आँखों से खिले चेहरे हज़ार देखे,
इन गलियों में तु भी अधुरी रह जाएगी 'रिया',
तेरे सियाह आंखों ने अधुरे दास्ताँ हज़ार देखे!
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