मैं दीया हूँ मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अन्धेरे से है
हवा तो बेवज़ह ही मेरे पीछे पड़ी है-
But still live...
Hate love bcz love is fake...
तवील सफ़र का इक मौजू चाहिये
कोई मिले या न मिले मुझे बस तूँ चाहिये।।-
तन्हाई है साथ मेरे बेवजह भीड़ की शौकीन नहीं हूँ
हो राब्ता मेरा बस अल्लाह से किसी और की मैं मुंतज़िर नहीं हूँ।।-
वहिशी हैं दरिन्दे हैं।
सियासत के नशे में जो अक्ल से अंधे हैं।।-
वो ज़रिया ए तबाही था
लेकिन मैं उसमे उलझ गयी।
उसने भरपूर बावेला मचाया
पर ख़ुश क़िस्मत थी जो वक़्त रहते निकल गयी।।-
आवाज़ मेरे दिल की लफ़्ज़ों में जो आ गई
बरसों से शांत पड़े मन में हलचल वो मचा गई-
बना लिया था आशियाँ हमने भी, पेड़ों पर ए हमनवां
फिर इक रात तूफान आया और सारे तिनके बिखर गये।।-
बेलौस मोहब्बत थी उससे तुम्हें
लोगों ने फिर भी तुम्हीं को खुदगर्ज़ कहा
फिर भी तसल्ली थी अपनी ज़िंदगी से तुम्हें
लेकिन मेरी सदाओं ने इसे तुम्हारा दर्द कहा
चाहती तो लौट जाती बिना दख़ल दिए तुम्हारी ज़िन्दगी से
लेकिन मेरे दिल ने तुम्हें समझाना अपना फ़र्ज़ कहा।।
#smarty shadab saudagar-
चल पड़ी हूँ ज़ानिब ए मन्ज़िल
वक़्त रहते पहुंचना जरूरी है
मुक़द्दर में हुआ तो फिर मिलेंगे
अभी राह ए सफ़र जरूरी है
रास्ता लम्बा है रात भी अंधेरी है
इस कशमकश तेरी याद भी जरूरी है
क़िस्मत ने साथ दिया अगर "बिया"
तो एक बार फिर मिलेंगे...
तुम बताना वाक़्या दरिया का
हम बातें ऊँचाइयों की करेंगे
अगर रब ने चाहा तो...
मेरे हमदम हम फिर से यहीं मिलेंगे
इसीलिये चल पड़ी हूँ ज़ानिब ए मन्ज़िल मैं
वक़्त रहते वहाँ पहुंचना भी जरूरी है...।।-