एक अरसे की जेदोजेहद के बाद
किताब-ए-दौर से निकल तो आते है हम
लेकिन ना जाने क्यों
ये ज़िंदगी ना तो हमें पढ़ना छोड़ती है,
ना इम्तिहान लेना और न ही सबका सीखना छोड़ती है !!
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Sometimes. . .
we all need is a break. . . a day off. . .
from our daily routine...
from the life exams...
from all the problems...
from toxic people around us...
from thoughts overflowing inside us...
from the stuff running our minds...
and most important. . .
a break from the Reality is needed !!
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एक ही मंज़िल लेकिन फिर भी मुख्तलिफ हैं अंदाज़ समझाने के
जिन्हें मिलते नहीं अल्फाज़ अपना ही प्यार जताने के
ये गुलाब ही तो है जनाब!
जो आता है काम किसी ख़ास को अपना महताब बताने के
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ख़ुद की तलाश में. .
ख़ुद से ही. .
कुछ इस कद्र मुख्तलिफ से हो गए हैं हम
कि
अल्फाज़-ए-बयां करना अब मुमकिन सा नहीं
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बचपन के उन खिलोनों पर जब भी नज़र जाती है
मानो जैसे पूछते है मुझसे. . .
आंखो में ये उदासी क्यों है अब?
जल्दी बड़े होने का शौक भी तो तुझे ही था ना-
किसी के सफ़र को ऊंचाइयों की है तलब..
तो किसी को पाना है अपना मकाम...
किसी को किसी से उम्मीदें हैं बेशुमार..
वहीं किसी के लिए मायने रखता है बस प्यार ...
कोई खुश है अपनी बनाई छोटी-सी इक दुनियां में..
तो किसी को कहीं बस ख़ुल्द की है तलाश...
कोई कर रहा है बस अपनों की खुशियों की दुआ..
तो कोई ढूंढ रहा है किसी की खुशी में अपना सुकून...
किसी को चाह है एक हमसफ़र-ए-हयात की..
तो किसी को तहक़ीक़ है अपनी राह-ए-मंजिल की...
मुकमल हुआ किसी का इकरार-ए-इश़्क..
तो किसी ने फिर की इकरार की एक कोशिश..
अंदाज़-ए-बयां माना कुछ अलग है सबका. . .
पर चाहत तो सबको ही है कुछ न कुछ पाने की ...
तो अब इस नए साल ने दस्तक जो दी...
हमने बस अब दिल ये ही दुआ है की. . .
कि मिल जाए उसको वो सब जिसकी है उसे चाह.😊
या कर सके वो सब्र उसके लिए जो उसके मुकद्दर में है लिखा😇-
जिन रिश्तों का लिहाज़ कर, हम गलत बातों पर भी खामोश रहते हैं..
जिन रिश्तों की इज़्ज़त के लिए हम पलट कर जवाब नहीं देते..
वही बड़े हमारी ख़ामोशी को अक्सर हमारी कमज़ोरी समझ लेते हैं. .
उन्हें लगता है कि ये रिश्ते हैं इसीलिए हम ख़ामोश हैं. . .
लेकिन सच तो ये है कि हम ख़ामोश है इसीलिए ये रिश्ते हैं !!
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in this era, where people prefer
good looks. . .
wealth. . .
and income. . .
to be on the top of their wish list.
I still fall for
behaviour. . .
vibes. . . and
kindness❤️
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उम्र की चोखट पर सांझ की आगाज़ क्या हुई, साहब. . .
ख्वाहिशें कम और सुकून की तलाश बढ़ सी गई है !!
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Degrees तो महज़ काग़ज़ के टुकड़े हैं साहब!!
ज्ञान वो है जो आपके क़िरदार से झलकता है
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