theteeth doc_   (Bhramit)
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Kehne ko kuch nahi
Batane ko bahut kuch

You can see my posts on Instagram @bhramit_
Joined 3 August 2019


Kehne ko kuch nahi
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2 NOV 2021 AT 1:40

હર સાંજ મને લઈ જાય છે એજ ઘર મા,
હા એજ ઘર મા, જ્યાં હું છું અને મારી એ માં છે...

એ છે એવીજ પ્રેમાળ, એવીજ લાગણી સભર,
જેવી કદાચ આજે હોત...

ના માં,
સાંજ મને તારી પાસે નથી લઈ જતી,
એ તો મને એ ઘરે લઈ જઈ છે...

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2 NOV 2021 AT 1:30

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24 OCT 2021 AT 20:49

જરૂરી છે જાણવું...

જરૂરી છે જાણવું કે હું કોણ છું,
કોણ છે કાયા ની અંદર,
જે જુવે છે સકળ જગત ને,
અને જાણે છે સૌ ચરાચર...

કોણ છે આ માયા ની અંદર,
જે ભોગવે છે સંસાર તનમન,
પણ રહે છે અલિપ્ત હરપળ...

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20 MAY 2021 AT 21:34

मेरे प्रेम में अगन है वो,
जो यज्ञ की लपटों में हो,
वो चाहती है विश्रांत एक,
पवित्र हुई आहुति एक,
उस सख्श की अंगुलियों से एक,
सुकून की चाहत सा एक
स्पर्श...

मस्तिष्क की रेखाओं को जो,
मनवाए हर पल की वो,
कम नहीं थी कभी,
और ना होगी कभी...

स्पर्श एक...
मेरे नयनों की पलकों को जो,
बताए हर पल की वो,
शांत है सौम्य भी
पर कवच है वे ढाल भी...

स्पर्श एक...
मेरे अधरों की कोशिकाओं को जो,
बताएं हर पल की वो,
कोमल है, रसाल भी
पर तीक्ष्ण है तलवार सी...

स्पर्श एक...
मेरे देह के अतामरम को जो
बताएं हर पल की वो
दिव्य है अगाध है
और कल्पना से अपार है...

मेरे प्रेम में अगन है वो,
जो यज्ञ की लपटों में हो,
वो चाहती है विश्रांत एक,
पवित्र हुई आहुति एक,
उस सख्श की अंगुलियों से एक,
सुकून की चाहत सा एक,
स्पर्श...

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28 SEP 2020 AT 9:44

એની વાત અલગ હતી,
એ સૂર્ય સમો તેજસ્વી હતો...

પણ હું તો ચાતક હતી ' ને!

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27 SEP 2020 AT 11:50

શાંત સરોવર, મંદ હવા,
ચાહક દૃષ્ટિ,
એક નિર્દોષ સ્વચ્છ પંકજ...

અનુભવી નજર,
અનેક ભ્રમિત ભ્રમર મઝાર...

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14 AUG 2020 AT 19:25

धर्म धर्म तो सब करे, धर्म जाने ना कोई,
जो सच्चे धर्म को जाने, भ्रम काहे ना होई...

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8 AUG 2020 AT 22:30

Ati gyan thi વિચલિત man,
Ante to bhramit har pal...

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3 AUG 2020 AT 4:56

कुछ रिवायतें पड़ी रहे तो अच्छा है,
हर इलमी बात सूफियाना अच्छी नहीं लगती...

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24 JUL 2020 AT 23:19

आज समझ आ रहा है!

आज समझ आ रहा है, सरदार सरोवर बांध बनना,
बांध बनाके पानी रोकना, यह योजना नहीं, प्रतीक था!

आज समझ आ रहा है,

अनेक नदियां रोकी जाएगी, सैंकड़ों बांध बनाए जाएंगे,
कुछ नदियां होंगी पानी की, कुछ स्वतंत्र विचारो की

हां! वो बांधेंगे उस पानी को, विचारो की अग्नि ज्वाला को,
कुछ बांध बंधे रह जाएंगे,कुछ टूट कर बह जाएंगे

जो टूटेंगे हो तोड़ेंगे, तो फूटे है वो फोड़ेंगे,
उस पुरानी सोच को, रूढ़ि की दीवारों को।

आज समझ आ रहा है!

ना सफल वो हुए कभी,
नाही होंगे कभी...

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