जिंदगी के रंग मंच पर,
एक और रंगों का त्योहार मुबारक हो।
जिन्होंने रंग बदला या जो रंग में रंग गये,
उन्हें भी ये शाम मुबारक हो।
#Happy_holi-
दो पल कि खुशी उम्र भर रूलाने के लिए कम नहीं होता ......
खामोश सी हैं जिंदगी,रौंनके दिखावे के हजार है।
बिखरा पड़ा है हर पत्ता, फिर भी शाख़ हजार हैं।
मन में उमंग के दीपक लिए फिरता रहा ......
हैं जिंदगी छोटी सी, पर रंग तेरे हजार हैं।
कभी जताता रहा, कभी बहाने बनाता रहा।
कभी हंस बोल के मन को बहलाता रहा।
निकले हैं सफर पर, तो कहीं दूररर जाकर ठहरेंगे ..
हैं जिंदगी छोटी सी, पर रंग तेरे हजार हैं।-
राह देखेंगे तब तक ,
जिंदगी के सफर में ...
या तो तू आ जाए ,
या फिर हम ठिकाने लग जाए ....-
दीवानगी, दीवानों को बेगाना कर देती हैं।
हर रस्में राज से अनजाना कर देती हैं।
हम खोए रहते हैं भंवर में मोहब्बत के।
और उसका एक ही दुपट्टा न जाने कितनों को,
घायल कर देती हैं।-
बह रही है वो हवा मुझसे कहीं दूर जाकर।
काली घटा छाती है और बरस जाती हैं।
समेटना तो चाहा बहुत मगर,
वो लगी ही है कहीं, मुझसे बहुत दूर जाकर।
रोकना चाहा,रोका था पर आदतें बचपन की हैं।
हर बार घूंट के मरता हूं, ये चाहत किसी और की हैं।
दिल नहीं ठहरता मुझ तक, कसूर मेरा है कहां।
तू पापा की लाडली, बहकाना बचपन से हैं।
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अपनों की दरियादिली
हर बार गिरा, संभला, गिराया भी गया।
रिश्तो की दुहाई देकर बचाया भी गया।
जब था तन्हा, अपनों का एहसास दिला कर,
अपनाया भी गया ....
कहने को सब है फिर भी अकेला हूं मैं।
मेरा हाल क्या पूछते हो
कहने का दूसरा घर था मेरा,
अपनों की चौखट से भगाया भी गया।
गैरों के आंसू दिखते किसे हैं पर,
मारने वाले का भी शुक्रिया...
पालने वाले का शुक्रिया...-
कहता है मुझसे जिंदगी,
ना जाने कब मैं सिमट जाऊंगा।
ये नहीं जानता कब तलक का है साथ,
मुस्कुराते हुए मैं रूला जाऊंगा।
कुछ हैं मीठा यहां,है कुछ पल खट्टे भी,
यादों में वो सब कुछ दिखलाऊंगा।
ना होकर भी साथ रहूंगा कभी,
और होकर कभी तूझे झूठलाऊंगा।
तू हर मोड़ पर मुस्कुराना यूं ही,
जब तक होगी सांसें साथ दे जाऊंगा।
गम के बादल किसे यूं डराते नहीं,
तेरे हौसलों पर मैं जीता चला जाऊंगा।
जिंदगी हूं मैं...
आना है मेरा तो जाना भी है लिखा,
अगर जीऊंगा भी तो ऐसे की किताब बन जाऊंगा।-
जिंदगी ये कौन सी कहानी लेकर चल रही हैं।
मुझे तो बस मेरी नादानी लेकर चल रही हैं।
मेरे दुआओं के लिए एक शख्स भूखा रहता हैं।
कोई और नहीं मेरे हाथों की रेखा हैं।
कभी हंसती है कभी रोती हैं।
किस्मत के खेल निराले हैं।
जो होगा देखा जाएगा, कह के दिल को बहलाती हैं।
कोई और नहीं मेरी जीवनसंगिनी हैं,
मेरे दुनिया की ज्योति हैं।-
जब नजदीकियां बढ़े तो लोग करार करने लगते हैं।
जब दिन अच्छे चल रहे हो,तो दूर के रिश्तें भी प्यार करने लगते हैं।
और नांव थोड़ी-सी डगमगाई क्या,
अपने ही अपनों पर वार करने लगते हैं।
अपना बचा के उड़ाते हैं माखौल अपनों का।
यही है दुनिया साहब,सब दूरव्यवहार करने लगते हैं।
और नांव थोड़ी-सी डगमगाई क्या,
अपने ही अपनों पर वार करने लगते हैं।
आपने कमाया क्या, ऐ एहसास दिलाने लगते हैं।
चंद मीठी बातें करके पैसो का रोब दिखाएंगे।
एक बार जो झुक गए, हर बार आपको झुकाएंगे।
अमीरो के घर में कदम रखना बहुत संभाल के,
हर चीजों के दाम बताने लगते हैं।
इंसानियत नहीं होती मेरे दोस्त कुछ भी।
ना ही मां-बाप बूरे होते हैं।
किस्मत और बात हैं,वक्त भी बुरे होते हैं।
हंस लेने दो उनको अपके हालात पे, लोग यहां जज्बात से खेलने लगते हैं।
और नांव थोड़ी-सी डगमगाई क्या,
अपने ही अपनों पर वार करने लगते हैं।
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