जब नजदीकियां बढ़े तो लोग करार करने लगते हैं।
जब दिन अच्छे चल रहे हो,तो दूर के रिश्तें भी प्यार करने लगते हैं।
और नांव थोड़ी-सी डगमगाई क्या,
अपने ही अपनों पर वार करने लगते हैं।
अपना बचा के उड़ाते हैं माखौल अपनों का।
यही है दुनिया साहब,सब दूरव्यवहार करने लगते हैं।
और नांव थोड़ी-सी डगमगाई क्या,
अपने ही अपनों पर वार करने लगते हैं।
आपने कमाया क्या, ऐ एहसास दिलाने लगते हैं।
चंद मीठी बातें करके पैसो का रोब दिखाएंगे।
एक बार जो झुक गए, हर बार आपको झुकाएंगे।
अमीरो के घर में कदम रखना बहुत संभाल के,
हर चीजों के दाम बताने लगते हैं।
इंसानियत नहीं होती मेरे दोस्त कुछ भी।
ना ही मां-बाप बूरे होते हैं।
किस्मत और बात हैं,वक्त भी बुरे होते हैं।
हंस लेने दो उनको अपके हालात पे, लोग यहां जज्बात से खेलने लगते हैं।
और नांव थोड़ी-सी डगमगाई क्या,
अपने ही अपनों पर वार करने लगते हैं।
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