मयकशी से तो तिश्रगी बुझती नहीं...
चलिए इश्क़ करके देखते हैं..!-
अबकी बार हम बिछड़े तो शायद दोज़ख में मिलें...
गुनाह-ए-इश्क़ किया है, ज़न्नत तो नसीब न होगी..!-
मैं इश्क़ से अनजान एक मासूम सहजादा...
कोई छुपा हुआ खंज़र मेरे क़ल्ब की तलाश में है..!-
ना था कुछ तो खुदा था, कुछ ना होता तो खुदा होता
डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता
When nothing was, then God was there,
Had nothing been God would have been;
My being gas defeated me
Had I not been, what would have been-
साजिश-ए-इश्क़ की पहल तो देखिए...
उन्होंने हमें हर एक नज़्म में गोया है..!-
आशिक़ हूँ, आख़री साँस तक रिवाज़-ए-इश्क़ निभाऊंगा...
तेरी ख्वाहिश तो नहीं जो पूरी होते ही बदलजाऊँगा..!-
You live two Life, the second one starts when you realise you've just ONE.
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The real world is what revolves around our "EYE"
But unfortunately we mistaken it as "I"-
तुम हमसे इश्क़ करो और दर्द न हो...
हमारी मुलाक़ात पहली हो और ज़ाम न हो...
क्या ऐसा मुमकिन है भला?-
तुम जो तलाशती हो मुझे इश्क़ की मज़ारों पर...
कभी आओ दहलीज़-ए-मयखाना तो मिलेंगे एक ज़ाम पर..!-