पूछते लोग मुझसे
मेरे लिए क्या हो तुम
क्या कहू तुम्हारे तारीफ़ मे
इबादत करता हूं तुम्हारी
तुम आखरी ख्वाइश हो
तुम मेरी जां मेरा खुदा
हमे तुमसे प्यार कितना ये हम नहीं जानते
मगर जी नही सकते तुम्हारे बिना
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जवानियां जैसे मचलती है जिस्म को,
हर कोई बेकरार पूरी करने अपनी चाहतों को
सभी के होठों पे है इश्क का नाम
चाहते मगर है, गुजारे किसी के साथ
एक जिस्म-ए-शाम..
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जब जब प्यार करने वाले दुनियादारी हदे सिख लेते है,
तो प्यार सरहदे में बट जाता है-
जिंदगी का तमाशा देखती रहे गई ,
इस कदर बेरहम के मौत ने भी
तरस खाकर गले से लगा लिया..-
जिस्मों की महफ़िल मे आज मंदी आने वाली है ,
मोहब्बत का एक फुल आज फिर बिकने वाला है ...-
जी सकता हू
में
सांसो के बगैर भी कुछ पल
मगर
तेरे बिना एक पल भी नहीं...
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"लिखने वाले ने मेरे नसीब में ख़ुशियाँ लिखी तो है मगर उसकी कलम 🖊️ कि इंक ही कुछ ऐसी है के लिखने के थोड़ी देर बाद लिखा हुआ सब गायब हो जाता है"
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भुला नहीं हूं तुम्हें बस
अब शोर नही करता
तकलीफ़ होती है कभी कभी
पर दिल पर ज़ोर नही करता
नज़रें ढूंढती है तुम्हें पर
तस्वीर की ओर नही करता
जो लड़ता था खुदसे तुम्हारे लिए
अब वो हर रोज़ नही करता
कुछ टूटा ज़रूर है मेरे अंदर पर
ख़ुद को कमज़ोर नही करता-
होती हैं कुछ मजबूरीयां,
पर तुमने कभी उन्हें समझा ही नहीं.
और मुझे समझाने का अधिकार भी तुम्हें नहीं था.
इसलिए तुम्हारे मन में हमेशा एक गलतफहमी बनी रहेगी,
कि मैंने तुम्हें आधे रास्ता छोड़ दिया.
तुमने कभी नहीं देखा,
कितना प्यार करता था मैं तुम्हें.
कितनी ज़रूरत थी तुम्हें.
कितनी चाहत थी तुम्हारी.
लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकता था.
मेरे पास मजबूरियां थीं.
जिनके सामने मैं मजबूर था.
मुझे माफ़ करना,
कि मैं तुम्हारी ज़रूरतों को पूरा नहीं कर सका.
मुझे माफ़ करना,
कि मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सका.
लेकिन मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूंगा.
मेरे दिल में तुम हमेशा रहोगे.
मैं तुम्हें प्यार करता हूं.-