अक्षरों से मिलकर एक शब्द बनाया है
होसलो से सूरत में, एक जुगनू आया है
मेरे हाथो से मेने तिरंगा जब लहराया तो मेरा मन कुछ इस तरह गुनगुनाया
अपने खून की स्याही से कुछ इस तरह लिखी है गाथा उन वीरो ने
हस्ते हस्ते उन वीरो ने फंदे को गले लगाया है
किसी ने खाई गोली किसी सेनानी बन हिदुस्तान बचाया है
आजाद हिन्द निर्माण किया जब उन्होंने आजदी को अपनाया है
आज ये प्रेम रंग अभिमान मिला जब उन वीरो को हमने गवाया है
भूलो मत उन आजादी के परावनो को
जिन्होंने खुद को बलिदान करके
कश्मीर मुकुट पग धोता सागर एसा स्वराज बनाया है
मेने मेरे हाथ से जब तिरंगा लहराया तो मेरा मन कुछ इस तरह ही गुनगुनाया है
तोड़ कर जंजीर रिश्तों की
अपने बलिदान से लहू को पिघलाया है
कुछ इस तरह उन्होंने भारत को बचाया है
किसी ने बनाई फौज अपनी
कोई खुद ही क्रांतिकारी बन गया
किसी के आंदोलन ने अंग्रेजो की नीव हिलाई
किसी की सत्ता ने अंग्रेजो को भगाया है
कुछ इस तरह उन्होंने देश को बचाया है ।।
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