ऐसा मैंने क्या किया जो तूने मुझे बिसार दिया,
तूने कभी ना मुझे अपना प्यार दिया ।
मैं तड़पता रहा यूहीं, तेरे द्वारों के आगे ,
पर तू कभी ना अपनी नींद से जागे ।
क्या बस मूर्तियों में ही मूर्तिमान रहेगा तू ,
या बस मीरा और चैतन्य की ही सुनेगा तूं ?
अगर ना हूं तेरे योग्य में तो बना दे मुझे ,
क्या अब योग्यता देख कर अपनाएगा तूं ?
क्या अब योग्यता देख कर अपनाएगा तू ,
या मेरे भाव से ही रीझ जाएगा तू ।
करता रहूंगा अस्तित्व पर तेरे संशय हमेशा
अगर आया ना तू थामने मुझे महेशा ।
मैं उलझ गया हूं तेरी माया के जाल में,
अब तो ठहरा देना मुझे तू वर्तमान में ।
हर घड़ी भटक रहा ये मेरा चंचल सा मन,
अब तो करादे ना तू इससे नित्य सुमिरन ।
रो-रो कर सुनता रहा अपना हाल मैं,
पर तू है कि चलता रहा अपनी ही मस्त चाल में ।
क्या बस यूं ही अज्ञात रहेगा तूं ?
या कभी मेरी भी सुनेगा तूं !
या कभी मेरी भी सुनेगा तूं !
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गुफ्तगू जो तेरी मेरी आजकल नहीं होती,
रात दिन और मेरी शाम , बस मुझे बेचैन करती,
आंखो में लिए आस मिलन की, आया था मै तेरे पास,
देकर समाज का वास्ता, कर दिया तुमने मुझे उदास।
अब लबो पर गीत की जगह,खामोशी गुनगुनाती है
और प्रेम की जगह हृदय में, विरह भर आती है ,
मुस्कुरा कर देखा होता काश तुमने एक बार,
मै नहीं जाता वहां से लौट कर यूं ज़ार ज़ार .....-
हाले दिल किसे बयां करे साहब,
यहां तो हर किसी की अपनी कहानी है ।-
ना मृत्यु जाना , ना जाना जीवन
और अदहर में लटका है ये बेचारा मन ......-
फासले बढ़ते से दिख रहे है हमारे बीच,
लगता है रकीबो ने पहरा बढ़ा दिया है ।-
तेरे दर्द को अपना नहीं सकता मैं,
पर इसे मेहसूस किया खूब हूं,
अये जीव तू मुक्त हो तेरा कल्याण हो
ये प्रार्थना किया खूब हूं ।
असहाय हूं आज मगर ,
कभी तो सहारा बनूंगा तेरा,
मुक्त किए बिना तुझको ना जाऊंगा मैं उस किनारा ।
आशा है पीड़ा से जल्द ही छूट जाएगा तू,
तेरे हृदय को तकलीफ़ दी ,
इसके लिए माफ करदे तू ,
आंखो में आंसू है, हृदय में पश्चाताप ,
तेरी सद्गति हो, ये प्रार्थना करता हूं मै आज ।।।🙏🙏🙏🥺
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अब तो डर सा लगने लगा है इजहार करने में भी,
कहीं तुम रूठ ना जाओ ..-
गुस्ताख़ी हुई हो अगर हमसे तो माफ़ करना,
तेरे सजदा के लिए हमने नियमों की परवाह नहीं की ।-
हज़ारों मिलें जिन्हें चाहने को,
वो हमारी मोहब्बत से मुक्कम्मल क्या होंगे ?-