The poetic word  
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Joined 24 December 2020


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2 FEB AT 23:00

सुकून की तलाश में अब गाँव की ओर रुख कर रहे हैं
जो बड़े चाव से नौकरी करने शहर को निकल आये थे

Sanchit ✍️

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8 DEC 2024 AT 20:23

वो दिन, वो बातें, वो मुलाक़ातें
कुछ भी पहले सा न रहा
मैं, मैं न रहा
वो, वो न रहा

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28 NOV 2024 AT 22:18

तुम चर्चित उपन्यास प्रिये
मैं पाठ्य पुराना साहित्य का

@Sanchit

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22 NOV 2024 AT 10:01


वो बसर कर रहा है मुझ में ऐसे
कभी सजाया हो अशियाना उसने जैसे
मेरे हर अंदाज से वाक़िफ़ लग रहा है
हो सकता है घर मेरा जलया हो उसी ने जैसे

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25 SEP 2024 AT 10:05

मैं तेरी जुल्फों का गजरा होना चाहता हूँ
कानों में जो पहनो
मैं वो झुमका होना चाहता हूँ
हार, टिका, काज़ल, बिंदी इत्यादि
मैं तेरे पाँव का बिछुआ होना चाहता हूँ

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24 SEP 2024 AT 9:20

फिर एक शक्श वो मेरा न रहा
सिलसिला अधूरी चाहत का फिर पूरा न रहा
राह - ए - मंज़िल में हार बैठे उसको
वो शक्श जो हर दम मेरी ज़ुबॉं पर रहा

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18 SEP 2024 AT 13:22

वो खूबसूरत काइनात सी लगती है
कांटों के बीच में गुलाब सी लगती है
आँखें उसकी की उनमे सारा जहाँ देख लूँ
वो जैसे भी आये सामने बस कमाल लगती है

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19 AUG 2024 AT 9:34

सूनी कलाइयों पर आज फिर,
कच्ची डोर का पहरा हुआ
उस रेसमी डोर ने आज फिर,
हिफाज़त का ज़िम्मा लिया
एक ने रेहमत-इ-खुदा की फ़रियाद की,
और एक ने ताउम्र सलामती का करार दिया

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17 AUG 2024 AT 19:09

नरभक्षीयों की टोली

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11 AUG 2024 AT 19:09

_ Sanchit

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