त्रास से घिरे है, त्रास मुम्ताज़ है
भाग्य वश में नहीं परंतु भाव है
वह सोच रहे की वीलीनता आ खड़ी
प्रकृति उभर रही, शहर जे़र-ए-आब है
टुकड़े रोटी को तरस रहे कुछ लोग
आप सकुशल, शायद ख़्यालात है
सड़के कभी मौन कभी वाचाल सी
समंदर सा गहरा या महज़ पायाब है
जिंदगी महफूज़ रखनी है अनेक राहों पर
बढ़ा हाथ, तू एक दूजे का अहबाब है
त्रास से घिरे है, त्रास मुम्ताज़ है
भाग्य वश में नहीं परंतु भाव है-
मिट्टी के पुतले का मैदान हो जाना
चलती यादों का मसान हो जाना
क्षितिज के पार सितारा बन बहुत
मुश्किल है दूर होकर पास रह जाना-
अपने प्रेम और फ़ज़ीलत से
वह सहरा को उपवन कर गया है
उफ़ुक़ पर डूबता सितारा
कई इम्कान रौशन कर गया है-
त्याग के सारे शोर
सुकूं की चादर ओढ़
चल पड़ा है वह
अंतिम सत्य की अोर
तोड़ के सारे बंधन
मूंद कर दृष्टि दर्पण
बांध कर सिर्फ
अब यादों की डोर
चल पड़ा है वह
अंतिम सत्य की ओर-
बहक रहे है कदम दुनिया के हर डगर
एक नक़्शा बस्ती का ज़ेहन में बसाए चला करो-
ख़ामोशी में भी एक स्वर है
वाक़िफ़ हो जा, क्यों बेखबर है
ऐसे न देख उस वीरान आसमां को
दूर कहीं एक आबाद शहर है-
चल एक स्वपन देखे, हाथों में बुनियाद लिए
बिन भेद हर राही को इन राहों में साथ लिए
यदि भाग्य कहीं असाध्य हो, लिखा कहीं कोई दुर्भाग्य हो
मुठ्ठी बांधे बढ़ते जा, उस लेखन की राख लिए
चल एक स्वपन देखे, हाथों में बुनियाद लिए
वाणी में गुणवत्ता हो बस, संयम से हर काम करे
कर्म ही केवल ईश्वर पूजा, चल पड़ यह तू भाव लिए
चल एक स्वपन देखे, हाथों में बुनियाद लिए
अवतारी भगवन या मानव, सब है इसका ग्रास बने
जीवन है एक धार मुसलसल, चलते है सब घाव लिए
चल एक स्वपन देखे, हाथों में बुनियाद लिए
कब तक यह मौन सत्य का, मिथ्या का सौहार्द बने
भाषाओं के बंधन तोड़, चल आंखो में संवाद लिए
चल एक स्वपन देखे, हाथों में बुनियाद लिए
बिन भेद हर राही को इन राहों में साथ लिए
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जगह जगह यह दीप जले है
छाई प्रभा मतवाली है
तम की छाती जब भी चिरो
नित नई दीवाली है
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गांधी तुम यहीं हो न
तुम्हारी कुछ कमी सी है
रो रहा हिन्दोस्तां आज
आंख में नमी सी है
सोच तुम्हारी अमर है बापू
बसी हर मन के कोने में है
फिर भी कुछ मनों में
आज भी बेरुखी सी है
अहिंसा के मार्ग पर बापू
चलना सिखाया तुम्हने हमें
पता नहीं फिर क्यूं
हर तरफ आगजनी सी है
बुनी थी तुम्हने खादी सी आजादी
चरखे की उस डोर से
फिर क्यूं उधड़ रही है चादर
और चरख थमी सी है
गांधी तुम यहीं हो न
तुम्हारी कुछ कमी सी है-
Let us join our hands while entering new door
To discern that we have never seen before
Let us keep the love in our heart
That no evil power can keep us apart
Let us learn from mistakes and rise
Break barriers of language and talk through eyes
Let us keep searching for brightest star
Never stop moving from where we are
Let us bring equity to each and every portions
And we'll do it coz we're marothians
Let us keep fight with dark and lit the lamps
Hail to the m.e.m.s , here all are champs-