एक मायूस शख्स़ नजर आता है मुझे,
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मैं उससे अक्सर बातें भी करता हूं ,
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ये लोग पागल कहते हैं मुझे,
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की मैं खुद-से इतनी बातें क्यों करता हूं....-
🎋Love to read and write..
🎋A loner admist the worldly chaos..
जो उगा रहे थे ,अश्कॊं की क्यारियां , भरें बाजार कल ,
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आज हाकिमों की भेष में ,भेड़िए गश्त लगाने आए हैं...-
संग थे तो इस क़दर, के दरम्यान कोई फासला न था ,
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फिर फासले भी हुए, उनको बिछड़ते ,दूर भी होते देखा,
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कई शिकवें थे , कई अश़्क भी ,
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फिर कुछ मलाल भी था, जब उन्हें रोते देखा.....-
मुद्दतों हम डूबे रहे, ख़्वाब मुकम्मल करने में,
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न खबर रहा, वक़्त ढ़लने का,
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कल मौत हैं , और आज मुझे,
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हैं याद आया , परिवार से बात करने का.....-
एक बे-अदब सा ख़्वाब है,
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कुछ अनकही आशाएं हैं,
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हैं कई जख्म़ दफन मुझमें,
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यहीं मेरे कलम की भाषाएँ हैं.....-
मुद्दतों-से तरसता रहा , किसी के साथ को जो शख्स़ ,
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भरी महफ़िल वो छोड़ आया, अपनी खुद्दारी के ख़ातिर....-
मेरे समझ के परे हैं ,दगाई तेरी...
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मैं खुश हूँ,
अपने चंद खुद्दारी के सिक्कों में,
नहीं चाहिए मुझे कमाई तेरी-
मैं क्या कहता, सो चुप ही रहा ,
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सब कहते रहे , मैं चुप ही रहा ,
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वो बहरों की महफ़िल थी ,
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तानसेन खड़ा था, मगर वो चुप ही रहा ,
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वो सियासी थे, सो छल गए मुझे ,
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मैं जनता था, सो मैं चुप ही रहा....-
उन ज़ालिम- तन्हा रातों को,
हमने यूँ ही नहीं गुजारा....
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कुछ अश्क थे, कुछ दर्द भी,
तूझे हमने दिल से, यूँ ही नहीं उतारा....-