The Inkless Nib   (एक अधूरा व्यक्तित्व)
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Joined 16 November 2018


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Joined 16 November 2018
9 JUN 2020 AT 12:28

With enigmatic presence of your soul..
Settel on me my beloved,
In the form of mystic breath,
which goes deep down in me..
Settel on me..
With all the form of ecstasy,
that gives me uttermost presence of yours..
Settel on me dear,
In the form of sun-ray which always,
Makes me remind that you are my "Sunshine",
Settel on me,
with all the insecurity you aquire,
I promise i will secure them all,
Bit-to-Bit Encryption in scenic manner of our love,
Settel on me my love,
I promise i will settel all obscuring vibes,
which tends to be the reason of being aparted...
Settel on me Lastly,
I desoured that,my one wish u fulfilled,
I wanna be once again your "Red rose",
That always, you fall in love with him..

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7 JUN 2020 AT 21:08

Listen Dude,
This is your Battel ground
give it here your hundred percent..


No Dear, My battel ground will be waiting for me..n I am now preparing for the battel to give my 100% there...

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7 JUN 2020 AT 16:55

उन्न पन्नो में समा गई वो लाल गुलाब,
जिन्न पन्नो में गहरे थे जख्मों के हिसाब,
उन गुलाबों पे कोई पछतावा न करो,
इश्क़ जवां हो तो यूँही दिल जलाया न करो,
कुछ लाल गुलाब मुरझा भी गए तो क्या,
जो जवां महकते हैं उनसे दिल लगाया करो..

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5 JUN 2020 AT 9:52

Sometimes the healer one,
who heals her when earth is wounded,
But,if healer's didn't perform his job well,
Then earth stands itself,
And heal wound in her own way..

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5 JUN 2020 AT 9:38

जरा, तुम,
अपनी फितरत का यूँ ही,
बखान ना करो जानां,
मुझको को थोड़ा सा ही सही,
लेकिन कुछ तो समझो तुम,
जरा अपने भी ऐब देखो तुम...

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5 JUN 2020 AT 0:58

जाने क्यूँ किसी से डरती हो तुम,
क्यूँ नहीं खुद के लिए लड़ती हो तुम,
किसी को अपना बनाने में,
उसे अपना कहने में,
अपने लफ्ज बयान करने में,
उसपे अपना प्यार लूटाने में,
किसी का हमेशा के लिए हो जाने में,
मत दो ना किसी को वो जगह,
जो तुम किसी को नहीं देना चाहती,
मगर, ये खालीपन भी तोह अच्छा नहीं..

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4 JUN 2020 AT 12:44

नजर..
(Read in captions..)

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3 JUN 2020 AT 22:34

पूर्णिमा की नूर में तलाशता,
मैं अपने चाँद को,
पूर्णिमा की रोशनी को निखरता देख,
तुझे और उस पूरे चाँद को,
एक तेरे चेहरे का नूर,
और चाँद जो है उससे कोसो दूर,
तू पूर्णिमा की रौशनी की दुआ,
मेरा हर जन्म तुझपे फिदा,
अक्सर मेरा जी चाहता है,
एक तू रहे और एक वो रहे,
उसे खूब जलाऊ और मैं सिर्फ तुझे रिझाऊँ,
तू खफा हो तो,
चाँद के चलने पे भी पाबंद लगाऊँ,
तेरे इशारे पे उसे नाचाऊं,
तू खुश रहे सदा यूँ ही हँसती रहे,
इस चाँद जैसे सैकड़ों चाँद तेरी खुशी पे लुटाऊँ..

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3 JUN 2020 AT 21:35

मनुजता की नीचता पर,
आज प्रकृति भी शर्मसार है,
ये वही मानव है जो हमेशा,
करता प्रकृति से खिलवाड़ है,
क्या मिला तुझे नीच मानव,
एक जिस्म दो जान को सुला कर,
आखिर पाया क्या तूने एक माँ के,
ममता का आँचल उजाड़ कर,
उस बेजुबां शिशु की गलती क्या थी,
आखिर क्यूँ तुझसे बर्दास्त न हुआ,
क्या वो तेरे से बड़ा जानवर था ये बर्दास्त न हुआ ,
खैर, अब तूने तो साबित कर दिया,
अपने अंदर के जानवरपने में,
उस पशु से प्रतिस्पर्धा भी जीत ली,
उससे बेहतर नीच पशु बनने में..

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2 JUN 2020 AT 22:38

मैं सोचता हूँ,
की तेरे सब बातों का,
बखूबी जवाब दूँ,



फिर ये सोचता हूँ की,
हर बात अगर मुझे तुमसे कहना ही पड़े,
फिर ये हमारा "हम" कैसा...??

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