ढलते सूरज की ही तरह
ओझल हो जाने से पहले,
मैंने तुम्हें भी देखा है,
जाते जाते..रुककर अक्सर ।।-
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Business man by profession😎
Wri... read more
अपनी अदाओं से वो हमें
इस कदर कायल कर गई,
कितनी मुद्दतों से खाली थे जो पन्ने इश्क के
उसके इजहार में आज सब भर गए।।
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जगा रखा है उसने न जाने कितनी रातों से,
अब तो ये आँखें बिना दीदार के झपकती भी नहीं।-
भरी महफ़िल में आज वो
आँखों में काजल और
माथे पर बिंदी लगाकर आई थी,
मानो जैसे अमावस की रात में भी
पूनम की चाँद निकल आई हो।-
एक शाम मेरी ऐसी भी गुजरे,
तेरी उंगलियां मेरे बालों से निकले,
हो शरारतें हमारे दरमियां कुछ ऐसी,
आकर तू कुछ यूँ मेरे करीब से निकले,
तेरे चेहरे पर जो रखा हाथ मैंने
सीधे वो गर्दन तक फसलें,
जो आए तू कभी निकल कर
बाहर ख्वाबों से मेरे,
एक शाम मेरी कुछ ऐसी भी गुजरे...-
इश्क की बात करके हुस्न पर मरते हो,
मोहब्बत नहीं करते तो क्यों बदनाम करते हो।
आज किसी को तो, कल किसी और को कहते हो,
तुमसे दिल का नाता है ये हर किसी को कहते हो।
जप कर प्रेम की माला खुद को नंदलाल समझते हो,
भाव समझते नहीं और पाने की बात करते हो।।-
ढूंढना हो कभी मुझे तो ढूंढ लेना
मेरी डायरी के उन आखरी पन्नों में,
बस एक वही जगह है
जहां कुछ भी झूठ नहीं..-
मुद्दतों बाद इत्तेफाक से नजरें मिली और
हमें देख वो नजरें चुरा गई।
चलो अधूरी ख्वाहिशों की किताब में
ये किस्सा भी जुड़ गया।।-
बीते हुए गम में कब तक रहोगे जनाब,
जो आता जा रहा है उसके बीत जाने का न्याय कौन करेगा...-