दर्द–दुख उठा कर चला जा रहा हूं
बहुत थक चुका हूं अब सोने जा रहा हूं
लाख आज़मा कर उसे समझा कर हार जा रहा हूं
बहुत थक चुका हूं अब सोने जा रहा हूं
गौण–मौन रह कर शब्दों से भी कह कर रूठा जा रहा हूं
बहुत थक चुका हूं अब सोने जा रहा हूं
आशा–लाभ छोड़ कर सपने यूं बिखेर कर टूटा जा रहा हूं
बहुत थक चुका हूं अब सोने जा रहा हूं
राह–राह देख कर हृदय सेंक–सेंक कर सुखा जा रहा हूं
बहुत थक चुका हूं अब सोने जा रहा हूं
रात–दिन गुज़ार कर सारे दीप बुझा कर मिटा जा रहा हूं
बहुत थक चुका हूं अब सोने जा रहा हूं
दर्द–दुख उठा कर चला जा रहा हूं
बहुत थक चुका हूं अब........-
Suno priye...
Badi mushkilon se ye Kanha tumpar bharosa karta hai
Roz darta hai Roz samahlta hai
Ek tumhare ummid par hi usne ki hai itni himaat
Wo ab aur nahi jhel sakega dagaabazi ke karaamat
Tan Man Lagan har tarah se uska sath dena
Uske mann me jhankna uske andar ke khalipan ko samajhna
Tum uski kamjori nahi uski himatt banna..||-
बहुत आसान है ज़मीन पर मकान बना लेना...
हृदय में स्थान बना पाना सब के बस की नही |-
Begging people to act right..... eventually turns to Detachment
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जानें ना तू ग़म की गहराइयां
आजा कट जाएं मेरी तन्हाईयां
आ भी जा
बरसा दे प्रीत का सावन
बरसों के जलते मन की,
बुझ जाए अगन
आ भी जा-
गीता में श्री कृष्ण ने कही बात
गंभीर औरो से दुनिया लड़े, लड़े
स्वयं से वीर ll-
उसने हाथ में वो घड़ी बांध रखा है
उसने अब भी मुझे हर पल में अपने बसा रखा है ll-
हर कोई एक जैसा नहीं होता, इस भरोसे ने बहुत से एक जैसे दिखा दिए।
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खामोशी और मुस्कुराहट में जो बात है
उस बात में कमाल की बात है-
मैंने समझा है जिंदगी का फसाना इतना
आज है जीवन आलीशान तो कल वीराना जितना
जाने कब पलकें बंद हो जाएं ,नहीं है इसका ठिकाना भी इतना
मैं ना काहू फिर भी मेरे हर लफ्ज़ को समझना तुम मेरे आखरी तराने जितना ।।-