अरमान तो मेरा अब भी वही है
कि आगोश में ले के तुझे बैठा रहूँ
मगर एक तू है
मुझे देख कर जो मुस्कुरा भी नहीं सकता
चिलमी
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सुनसान जैसे शमशान
बस तेरी चंद यादें
और तेरे कुछ एहसान
बस यही मिलकियत है मेरी
और ... read more
लबों को तुझसे शिकायत बहुत है
कि छुआ नहीं एक मुद्दत से तूने इनको
चिलमी-
मत छिपा बातें ये दिल की बहाने से
निगाहें तेरी सब बयाँ कर देती हैं
राज दिल में जो छिपे हैं तेरे
चुपके से मुझे बतला देती हैं
चिलमी
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तेरी नजरों के ये सवाल कुछ यूँ लगते हैं मुझे
ज्यों खत एक मौहब्बत भरा मेरे नाम लिखा है तूने
चिलमी-
मिल जाते हैं वो आज भी जिंदगी के किसी मोड पर
लेकिन फिर भी उनसे कभी मुलाकात नहीं होती
की हैं कोशिशें मैनें हर बार उन्हें मनाने की
मगर क्या करूँ
मेरी तकदीर कभी मेरे साथ नहीं होती
चिलमी-
चाहे तू बस मुझे ही तेरे दीवानों में
रहूँ जवाब बन के मैं हमेशा तेरे सवालों में
देखती हैं मुझे जब ये खामोश निगाहें तेरी
जाने क्यों हलचल सी होती है मेरे खयालों में
चिलमी-
जाने क्यों दिल आज फिर से उदास है
झूठी ही सही
पर इसे तुझ से मिलने की आस है
सूखने लगे हैं आँसू भी तेरा इँतजार करते करते
और जिंदगी तेरे बिन बदहवास है
बिखर चुकी हैं हसरतें अब सारी
कोई उम्मीद नहीं है तेरे आने की
ना कोई चाहत रही तुझे पाने की
यादें सिसक सिसक कर अब दम तोडने लगी हैं
रिश्ता मेरा
अनजाने कुछ गमों से अब जोडने लगी हैं
दामन उम्मीद का फिर भी नहीं छूट रहा है
क्या हुआ
जो भीतर ही भीतर कुछ टूट रहा है
बेमन से ही सही इक बार तो वापिस आ जा
कि दीदार तेरा बस आखिरी इक ख्वाहिश है
बात ये ना तेरी है ना ये मेरी है
साथ मिल के जो की थी मौहब्बत हमने
ये उसी मौहब्बत की आजमाईश है
चिलमी
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चेहरे पर तेरे फैला सादगी का नूर है
चर्चा ये आम है महफिल में दीवानों की
इस जँहा की नहीं शख्सियत ये तेरी
शायद तू फलक से उतरी कोई हूर है
चिलमी-
दस्तक तू देने लगी है ख्वाबों में भी मेरे
हावी ये शख्सियत तेरी
इस दिल के बाद अब दिमाग पर भी है
चिलमी-
ख्वाहिश महज इतनी सी है
सर तेरा मेरे काँधे पे हो
तू मेरी आगोश में
और अँगुलियाँ फिराता रहूँ मैं रेशम सी तेरी जुल्फों में
चिल्मी-