तुझको खोजने मैं निकली हूँ जाने किस शहर...
खुद को खो दूँ, उससे पहले तुम लौट आना...-
When someone asks me,
How a person changes in love....
I smiled and thought....
हीरे सी चमक दिखती थी जिन्हें, ना जाने मिलते ही क्यों कोयला समझ बैठे...-
कहने वाले अपने बहुतेरे हों, पर दिल ना किसी से खोल सको...
जब दिल कहने को आतुर हो, और लबज़ों में ना बोल सको...
जब मन में एक तूफ़ान चले, पर चेहरा शांत सा रखना हो...
जब भविष्य के सपने चुनने हो और अतीत कहीं भटकता हो...
जब बात सभी से होती हो, भरोसे वाला कोई ना हो...
सुन तो सब सकते हैँ जब, समझने वाला कोई ना हो...
जब राह कभी खाली सी दिखे, और चारों तरफ अंधेरा हो...
जब चंचल प्यारे से मन को, कठिनाइयों ने घेरा हो..
जब काम ना कोई आये तो तुम उसके चरण पकड़ लेना...
वो ना धिक्कारेंगे कभी तुम उनकी शरण में घर लेना...
सर्वत्र उपस्थित सर्वज्ञ हैँ वो, वो सारी पीर समझते हैँ...
सारी व्यथा जानते हैँ, वो हर जंजीर समझते हैँ...
व्यर्थ किसी से मोह अगर गर कान्हा से ना मोह हुआ...
पृथ्वी का तो हर बंधन मोहों से ही परिपूर्ण रहा...
उसके चरणों में सौंप कर खुद को, चिंताओं का त्याग करो...
वो नहीं कभी पीछे हटते, जब उन पर तुम विश्वास करो...
देर भले कर दें पर, सारी पीड़ाओं को हर लेंगे वो...
मेरे कान्हा जी ऐसे हैँ, बिन बोले सब कर देंगे जो....-
जब तक तुम लौटो कहीं दूर निकल ना जाऊँ मैं...
सारी कसमें, सारे वादे, सारी बातों से मुकर ना जाऊँ मैं....
जब तक तुम लौटो कहीं दूर निकल ना जाऊँ मैं...
तरसते रह जाओ मेरी एक झलक तक के लिए तुम...
शिकायतें सुनने के लिए मेरे अल्फाज़ोँ को भी ना टटोल पाओ तुम...
रातों को अक्सर रोकर छोड़ने वाले, मुझे बस ये डर है,
मेरे मुस्कुराहट के बदले बिखरे आंसूओं को शायद बटोर ना पाओ तुम..
जब तक तुम लौटो कहीं दूर निकल ना जाऊँ मैं...
मेरे आँखों का इंतज़ार देखकर अपनी नज़रों से ना उतर जाओ तुम...
वो बोलती रहने वाली लड़की का मौन भी ना सह पाओ तुम...
एक क्षण था देना कठिन जिसे,उसे यादों में ज़ब ना रख पाओ तुम...
तुम कहते थे- है वक़्त बड़ा, आखिर वक़्त तक ना उसे पाए तुम...
जिसकी सारी दुनिया तुम थे, उसके भी ना हो पाए तुम...
वो प्रेम समर्पण करने वाली राधा सी प्यारी स्त्री का, गर गोविन्द ही ना बन पाओ तुम...
सोचो पुनः अब समय कितना है, इस पल तो कुछ कर जाओ तुम...
है यही वो अंतिम पल समझो, और प्रेम ज़रा दोहराओ तुम...
यूँ ना हो,सारी कसमें, सारे वादे, सारी बातों से मुकर जाऊँ मैं....
जब तक तुम वापस लौटो,कहीं दूर निकल ना जाऊँ मैं...-
दहेज़ से तौल कर आई बहुयें अक्सर अभिमान में रहती हैँ...
ज़रूरी भी है, पिता के स्वाभिमान को कतरा कतरा दहेज़ में मिलते हुए जो देखती हैँ...
इतराती फिरती हैँ, कइयों को चुभती भी बहुत है...
पिता की माथे की शिकन,जो दिल में छिपी होती है...
गहनों को साँझा करने की बात से भी अकुलाई रहती हैं...
माँ बाबू जी की रातों की नींद जो भरी होती है उसमेँ...
ससुराल को अपना मानने में कई साल लगाती हैँ...
अपने घर में बेटी,कब अपना धन लेकर आती है?
हर पहलु से देखा जाये जिसे बेहतरी की अपेक्षा से...
वो अपेक्षाओं पर कहाँ कभी उतर पाती हैँ...
गहने इधर के ज्यादा हैँ या उधर के इस प्रतियोगिता में सब लगे रहते हैं...
विवाह जिसको सादगी में पिरोना था, उसे कठिनाइयों में बुने रहते हैँ...
ना दहेज़ लिया जाए मांगकर, ना हथेलियाँ यूँ ही फैलाई जाएँ...
बहुयें क्यों ना बेटियों की तरह घर लाई जाएँ...
जितने गहने हों बस उतने में सजायी जायें...
दर्द समझें जायें उनके अपनी भी तकलीफ बताई जाये..
क्यों ना विवाह की रीतें सादगी से निभाई जायें...
बहुयें क्यों ना बेटियों की तरह घर लाई जाएँ...-
विवाह प्रेम में पड़ाव है कोई अंतिम मुकाम नहीं...
राधा कृष्ण हर जगह साथ है,रुक्मणि संग श्याम नहीं...-
लड़ता है हर कोई ज़िन्दगी की जंग...
कुछ हार जाते है कुछ टूट जाते हैँ,कुछ ज़िन्दगी से यूँ ही रूठ जाते हैँ...
पर याद उन्हें करते हैँ जो लोग जीत जाते हैँ...
युद्ध ज़िन्दगी में हर रोज नये होते हैँ, कुछ रास आते हैँ कुछ बीत जाते हैँ...
ज़िन्दगी के सफर में सारथी मिलते हैँ कई, कुछ साथ चलते हैँ कुछ छूट जाते हैँ...
रुक जाने से हर मायने में चलते रहना बेहतर है...
कुछ नये रास्ते मिलते हैँ कुछ पुराने चूक जाते हैँ...
हारना जीतना कई पैमानों पर तय करता है ये जमाना...
जमाने से हारे हुए भी अक्सर खुद से जीत जाते हैँ...
ज़िन्दगी की रेस में हारना जीतना जब भी तय करना हो तो याद रखना तुम..
मन से हारे हार, जो मन से जीते वो ही जीत पाते हैँ...
हे पार्थ तुम बढे चलो कृष्ण तुम्हारे साथ है...
कुछ स्वजन आखिरी तक रहते हैँ कुछ माध्यन्तर में ही छूट जाते हैँ...
धर्म और अधर्म के संघर्ष में वक़्त चाहे जितना लगे,गोविन्द धर्म की पुकार पर दौड़े चले आते हैँ...-
लड़ता है हर कोई ज़िन्दगी की जंग...
कुछ हार जाते है कुछ टूट जाते हैँ,कुछ ज़िन्दगी से यूँ ही रूठ जाते हैँ...
पर याद उन्हें करते हैँ जो लोग जीत जाते हैँ...
युद्ध ज़िन्दगी में हर रोज नये होते हैँ, कुछ रास आते हैँ कुछ बीत जाते हैँ...
ज़िन्दगी के सफर में सारथी मिलते हैँ कई, कुछ साथ चलते हैँ कुछ छूट जाते हैँ...
रुक जाने से हर मायने में चलते रहना बेहतर है...
कुछ नये रास्ते मिलते हैँ कुछ पुराने छूट जाते हैँ...
हारना जीतना कई पैमानों पर तय करता है ये जमाना...
जमाने से हारे हुए भी अक्सर खुद से जीत जाते हैँ...
ज़िन्दगी की रेस में हारना जीतना जब भी तय करना हो तो याद रखना तुम..
मन से हारे हार, जो मन से जीते वो ही जीत पाते हैँ...-
बिन पूछे कभी तारीफ किया करो मेरी...
खूबियों की खबर कोई और दे तो अच्छा लगता है...
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