तुम्हे पता है ,
मै अब मुस्कुराना भूल सा गया हूं,
बेवजह हसने की आदत से अब कहीं छूट सा गया हूं,
जो कभी मै दरिया और समंदर की बात किया करता था ।
आज कल अपनी ही आशु में डूबा सा रैहता हूं...
मुमकिन कितना है किसी की याद में रात दिन reehna,।
Meene !
मै इस आदात का नशेबाज अब हो गया हूं।
तुम्हे पता है,
मै जदा नहीं लिखूं गा तुम पढ़ोगे नहीं...
या तुम्हे आज ये भी मालूम ना हो की ,
मैंने आज फिर कुछ लिखा है ।
हा लिखा ही है , लोग यही कहते है
अब मैने v yahi keehne suru kar diya hai ।।
Tumhe pata ho ............
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