तुमसे बिछड़ा मैं एक पत्ते की तरह
टूट कर भी एक अलग रूप पा लिया,
मौसम बदले,जगह बदले लेकिन मैने
इस नए रूप को ही अपना पहचान बना लिया
टूट कर अलग रूप तो पा लिया,
लेकिन तुमसे टूट कर अलग हुए इस सच्चाई को अपने अंदर ही समा दिया,
पहचान ना पाए कोई उस राज को
इसीलिए जख्मों से ही खुद को सजा लिया।
@temperamental_writer
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मैने एहसास ना किया था कभी धड़कनों के रुक जाने का
दिखे जो तुम अरसे बाद एक अनजान गली में
मैने वह भी एहसास कर लिया,
मैने तो मान रखा था की भुला दिया हैं तुमको मैने अपनी जिंदगी से
लेकिन तुम्हारा चेहरा सामने आते ही भूलने के लिए की गई वर्षो की कोशिशों को भी नाकाम कर लिया।
@temperamental_writer-
वर्षो से बचाते रहे जिस दीए को हवा के झोंको से
वह मेरी सांसों की हल्की आहट से ही बुझ गया,
बहुत कोशिश की संभाल कर जला लूं फिर से
लेकिन वह तो मेरी सांस लेने की आदत से ही रूठ गया...
@temperamental_writer-
वक्त बुरा, चेहरे असली दिखा जाता हैं
कौन अपना हैं कौन पराया हैं
इन सब की पहचान करना सीखा जाता हैं,
लोग गलती कर बैठते हैं उस बुरे वक्त को अंत मान कर
लेकिन एक सफलता की हवा बस
उनके होश उड़ा जाता हैं।
@tempermental_writer-
सुनो,
तुम समुंद्र में तैरने के लिए बने हो
इन तालाब में तैर कर ही बस खुश मत हो जाया करो
खुद के अंदर झाको
खुद को पहचानो
किसी दूसरे की बात मत मानो
कभी अकेले बैठ खुद को अच्छे से जानो,
तुम्हारी उड़ान सिर्फ जमीं से आसमां के बीच तक ही नही हैं
तुम्हे रोक सके कोई सीमाएं वैसी कोई सीमाएं ही नही हैं
तुम बस मंजिल की तरफ बढ़ो और सारी मुश्किलों को तोड़ डाले
और जो भी बोले तुमसे नही होगा वह करके बस एक मुस्कुराहट के साथ उनका भ्रम भी तोड़ डालो।
@tempermental_writer
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अपने लक्ष्य के प्रति भूख से भरा इंसान
मुश्किलों के आगे झुका नही करता
जो अंदर ठान लिया हैं वह उस चीज को
किसी से कहा नही करता,
सर झुकाए हुए वह बनाता जाता है अपना रास्ता
पराए तो पराए अपनो से भी खोता जाता है वास्ता,
बिना अंधेरे के सुबह भी नही हुआ करते हैं
पत्थरों के बीच में आ जाने से नदियों के पानी रुका नही करते हैं
और धूप कितनी भी तेज हो उससे समुंद्र का पानी सुखा नही करते हैं।
@temperamental_writer-
जिस शहर से था कभी दिल का नाता
उस शहर का अब नाम भी नही भाता
सुन कर उस शहर का नाम
धड़कने रोक देती हैं अपना काम,
उस शहर की गलियों से लेकर गुजारे हर वक्त को याद कर गुजरने लगती हैं शाम
बड़ी मुश्किल से मिल पाता हैं इन यादों से आराम
कुछ ऐसा हो की वह शहर मेरी यादों में कभी ना आएं,
गुजरू अगर उस शहर के पास से भी तो ट्रेन भी बिना रुके आगे बढ़ जाए
और रुकना पड़े उस शहर में ऐसी नौबत ही ना आए।
@temperamental_writer-
इश्क में टूटा शख्स,
किसी टहनी से टूटकर उस पेड़ पर अटके किसी पत्ते की तरह होता हैं,
जो कोशिशें तो बहुत करता हैं टूटा हुआ न दिखने की लेकिन वह टूट गया होता हैं
यादरूपी आंधियों से वह उस टूटे हुए जगह को फिर से इधर उधर कर लेता हैं
कितनी भी कोशिशें कर ले संभला हुआ दिखने की यादरूपी आंधिया उसे नीचे गिरा ही देती हैं।
@temperamental_writer
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इश्क में टूटा शख्स,
किसी टहनी से टूटकर उस पेड़ पर अटके किसी पत्ते की तरह होता हैं,
जो कोशिशें तो बहुत करता हैं टूटा हुआ न दिखने की लेकिन वह टूट गया होता हैं
यादरूपी आंधियों से वह उस टूटे हुए जगह को फिर से इधर उधर कर लेता हैं
कितनी भी कोशिशें कर ले संभला हुआ दिखने की यादरूपी आंधिया उसे नीचे गिरा ही देती हैं।
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