कुछ किए, कुछ सुमार हो लिए
करते – करते, बेशुमार हो लिए।
मिटने – मिटाने की कोशिश की,
होते – होते, गुन्हेगार हो लिए।।-
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कलम-ऐ-एहसास
सही कहते हैं .....।
कुछ लोग हैं जो नहीं को,
नहीं कहते हैं .......................।।-
तुम चलते रहो,
इक-इक चाल जीत की।
हम शह-मात चलेंगे गालिब,
तब, तुम ही चल दोगे ।।-
दूरी जितनी सही,
इकतरफा कम, नहीं करना।
वो आयेंगे इस ओर तो,
बढ़ा लेंगे हम भी कदम।
मुश्किल जितनी सही राहों में,
पत्थर कम नहीं करना।।-
खुद को उलझाना ठीक नहीं,
दिल जब अपना टूटा है तो,
फिर , दिल धड़काना ठीक नहीं।-
वो जो उजड़ा हुआ गुलशन था न,
उसी गुलशन की, सुंदरतम फूल थी मेरी।।-
ये जाम-ए-जिन्दगी है,
न पीने वाले भी, पी रहे हैं।
जमाना पूछता है ,
मुस्कुरा के, हाल-ए-दिल।
ये दिल है कि ,
कह देता है ,जी रहे हैं।।-
वीरान पड़ा है शहर आजकल,
वो किस्से- कहानी,वो दादी- वो नानी।
वो पतझड़ , रवानी , हवा वो सुहानी,
इस मसरूफियत के चलते गांव चले गए।।
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थपेड़े पड़ते हैं जिंदगी के,
हर आकार में ढलना पड़ता है।
थक के टूट जाता है इंसा,
पर ये जिंदगी है साहब,
हर हाल में चलना पड़ता है।।-