उसका बसता घर नी देख्या कदे ,ता उम्र अपमान सहे गया वो
तू जावै ना मनै छोड कै , या बात हर शख्स तै कहे गया वो
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लगा सका ना कोई उसके कद का अंदाजा , वो आसमां था मगर सर झुकाए चलता था ।।
ज़िंदगी में क... read more
जन्नत है तेरे पैरा निचै , देख्या रूप तेरा, चांद आख्यां नै मिचै ,
माटी तै खुशबू आजाद होज्या,हाली जब कोय खेत न सिचै ;
पिछै है तेरे कायनात सारी , तू अ तू है लोगा की जुबान पै ,
मैं लिखूं तनै, दुनिया मेरा जिक्र नहीं ठारी;
तेरे होठा की मुस्कान, महरूम शाम का नज़ारा
कई बार मैं भुल्या भगवान, मनै खुदा नी लाग्या तेरतै प्यारा ;
भरकै ग़ज़ल,शायरी,शेर एक किताब लिखूंगा,
जो बेशकीमती होंगे मेरे,तेरपै निसार वे ख्वाब लिखूंगा;
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बख्त बदला नही, औकात भूलन चाले है
धरती प पैर टिकते नही , आसमान म झूलन चाले है
हर जिसने बंद राखे मां भाण खातिर इज्जत के किवाड़ , वे शख्स आज हवा ज्यु खुलन चाले है ।
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ये जिस्म तिरा, ये सूरत , सुना है बाजारों में बिकते है,💥
खैर बेवजह जिक्र किया बेवफ़ाई का ,हम आज भी तिरे इश्क पर लिखते है,❗
अर्सा हो गया दीदार लिए तेरा इं आंखों को,📿
लोग कहते है हम आज भी तिरे इश्क पर लिखते है 👑-
ना मने किसे का चाह राख्या , ना आगअ बढ़न का राह राखया ; राख्या था तेरा इश्क संजो क , गेल्या छुपा क घा राख्या ।
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कुछ जज्बात लिखअ है , कुछ आशिकी कर ले है
कुछ अपने बन क मार ज्या है , कुछ भूख त मर ले है
कुछ नाराज़गी पी ज्या है टोटे म , कुछ धूमे न भीतर भर ले है
ना अपनी कोय इच्छा नहीं है किसे त डर जान्न की , थोड़े मां बाबू के संस्कारा त डर ले है 🌺
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