दूसरों के लिए जीना सिखाया !!
मायके में आजादी नहीं दी गयी
ससुराल जा कर जो मर्ज़ी करे
पर वहा मर्यादा इज्ज़त की बेड़ियाँ थी
कदम चौखट के बाहर आने नहीं दी गयी !!
गर्भ की पीड़ा,सब की चिंता, दूसरों का ख्याल
और अपना बुरा हाल किस को सुनाती ?
मायके वालों के लिए दूसरे घर की हैं
ससुराल वालों के लिए दूसरे घर से आयी हैं-
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बिछड़ना हैं तुम से एक व्यक्त के बाद
क्यूँ ना इन लम्हे को जी लू तुम्हारे साथ !!
तुम लाओ फूल मैं सम्भाल कर रखूं
उसकी खूशबू ताउम्र बरकरार रहे ये ध्यान रखूं !!
तुम्हारे दिए तोहफ़े को यादों से जुड़े रखूं
मोहब्बत कम ना हो ये भी ख्याल रखूं !!
सच से ख़ुद को रूबरू रखूं
तुम किसी और के हो ये भी याद रखूं !!-
क्यूँ तेरे नूर में कमी आ रही हैं
तेरा चाँद नाराज हैं क्या तुझ से
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टूटे लफ्जों को ज़ोर अंदाज़े-ए-बया थोरी अलग है
और लोग कहते हैं
"लेखक हो"-
जी लू ख़ुद को
पा लू ख़ुद को
सवार लू ख़ुद को
निहार लू ख़ुद को
तेरे क्या इस मोड़ पर मेरे साथ
अगले मोड़ पे किसी और के साथ !!-
उन्हें सोचता हूँ
तो हज़ार सवाल ख़ुद ही ख़ुद में पूछता हूँ !!
नादानियाँ कम नहीं उनकी
पर में समझदारी पर एतबार करता हूँ !!
छोटी-छोटी चीजों में खुश होती हैं
इस दफ़ा पायल दे दूं ये सोचता हूँ !!
मोहब्बत खुद से ज़्यादा है उनसे
इसलिए उनका ख्याल रखता हूँ !!
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उनमें तब्दीली आने लगी हैं
मिजाज़-ए-इश्क़ में डूबने लगे हैं
मेरी बातें घंटों सुनते नहीं
पर बातें मानने लगे हैं
मेरी ग़लती पर डाटना भूलते नहीं
पर मुझे मनाने लगे हैं
मेरी याद आती हैं पर एतबार नहीं
पर कहने लगे हैं
"मौसम सर्द का हैं"-
ये जो तेरी प्रेम कहानी है "मोहन"
दिल को सुकून दे जाती हैं !!
मेरी अधूरी मोहब्बत भी
पूरी प्रेम कहानी लगती हैं !!-
हम सम्भाल के रखते हैं !!
ज़ुर्म-ए-वफा का हश्र
हम याद रखते हैं !!
तुझ से बावस्ता ना रहा
पर मोहब्बत-ए-ज़ख्म ताज़ा रखे हैं !!
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होली के रंग कैसे चढ़े
जब पिया रंग लगाए ना
होली में कैसे झूमे
जब पिया घर आए ना !!-