कहाँ है वह आईना जो आँसुओं को दर्शाता है, कहाँ वो रिश्ता है, जो बिना बोले ही समझ जाता है, लोग कहते हैं हम प्रेम करते हैं, लेकिन कहाँ वो प्रेम है, जो आँखों की भाषा समझता है...!!
अक्सर अपने अहसासों को शब्दों में बयां कर... तेरी एहमियत को गजलों में पिरोते रहे हम...!! ये महफ़िल अक्सर समझती रही दीवाना हमको और ख़ुद को हर बार तेरा राज लिखते रहे हम...!!