तेरे आशिक़ी का ख़ुमार कुछ यूं है मेरे सर पर,
कि अब...
न तो हम किसी और से इश्क़ फरमा सकते हैं,
और न ही तेरे पास लौट कर जा सकते हैं...-
not professional writer
Be simple, be original, be देसी
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उसके झूठ को जानते हुए भी,
उन्हें सच मानकर सुनता था मैं...-
तुम्हारा ख्याल जैसे...
जैसे रात की चांदनी, जैसे सुबह की धूप,
जैसे तपती धूप में छांव,जैसे प्यासे को पानी,
जैसे सूखे में बारिश,जैसे सौंधी खुशबू,
जैसे युधिष्ठिर का सत्य,जैसे कर्ण का दान,
जैसे राम का वचन, जैसे लक्ष्मण को संजीवनी,
जैसे हनुमान के राम, जैसे मीरा के श्याम,
तुम्हारा ख्याल ऐसे...
जैसे हर सांस में तुम, हरदम बस तुम ही तुम...-
जिसे ज़माना कह रही, वो एक सख्स था उनका,
तुम्हारे हिस्से ज़माने नाम का एक और बहाना था आया..
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न जाने कैसी ज़िन्दगी जी रहे हम,
जो चाहा कहना, तो कह न सके...
जो चाहा रोना , तो रो न सके...
जो चाहा तेरा होना, तो तेरे भी हो न सके...
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हमको सीखला रही है,
जो ग़र ठहर गए इक जगह, तो पिछड़ जाओगे खुद से भी...
जो ग़र बढ़ते रहे ज़िन्दगी के साथ, तो बढ़ जाओगे मुझ से भी...
मत सोचो क्या किया किसने, सोचो क्या करना है तुमको भी...
ये ज़िन्दगी रुकती नही है कभी, जान लो चलते रहना है तुमको भी...
ज़िन्दगी समझा रही है, हमको बतला रही है...-
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तभी तो न रही अब उनमें वो बात पुरानी,
और यहां लिख रहे अपने दिल की जुबानी...-
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आग इश्क़ का सीने में भड़काते रहता है,
याद दिला उसकी हमें जलाते रहता है..
पगली इश्क़ कर चली गयी छोड़ हमें,
मगर इश्क़ उसका हमें तड़पाते रहता है..
खुशबू उसके इश्क़ की समा ली थी खुद में मैंने,
इश्क़ उसका मुझमें आज भी महकता रहता है..-
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बड़ी भोली सूरत वाली थी वो पगली,
भोलेपन में छिपे राज वो बोल गया..
जो राज वो छिपा रही थी कबसे,
वो सारे राज आईना आज खोल गया..
बिन बोले भी, आईना सबकुछ बोल गया!
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