Tejashvi Rathore   (Tejashvi Rathore)
147 Followers · 67 Following

read more
Joined 27 February 2018


read more
Joined 27 February 2018
26 NOV 2023 AT 23:39

की मैं अग़र मर भी जाऊं कभी ,
तो रोने के साथ ज़रा मुस्कुरा भी लेना
याद कर के मेरी बातों को,
ज़रा ज़ोर से खिलखिला भी लेना
तारों में तो मुझे देखना ही नहीं कभी
अगर ज़्यादा याद आये तो अपने आस-पास ही निहार लेना

-


5 OCT 2023 AT 23:42

डरो भी, रो भी, जताओ भी की दर्द है,
हर बार सह लेना जरूरी नहीं है।

कहो भी बताओ भी , अगर नहीं हो रहा तो,
हर बार चुप रहना जरूरी नहीं है।

थकी हो तो रुक जाओ , पड़ जाओ कमज़ोर भी,
कमज़ोर पड़ जाना हमेशा कमज़ोरी नहीं है।

-


18 SEP 2023 AT 10:51

आजकल तन्हाइयों में तन्हाइयां कम ही होती हैं,
लफ्ज़ शांत पर मन में बातें कई होती हैं

कहने को तो सुनने वाले बहुत हैं मग़र,
कहने को कोई बात कहाँ ही होती है।।

-


8 AUG 2023 AT 18:26

सुबह की चिक-चिक से थक हार कर,
रात के अंधेरों में सुकून ढूँढती हूँ।

दिन में तो सब सुन लेती चुपचाप मैं,
रातों को अक़्सर मैं बिलख-बिलख कर रोती हूँ।

ये हँसी, ये मुस्कुराहटें तो बस दिल बहलाने के हैं
ज़रा सा मुस्कुरा के खुद को समझा लेती हूँ।।

-


20 MAR 2023 AT 10:47

मैं आसमान हूँ,
सूरज हूँ, चाँद हूँ
मंद-मंद हवा सा कोमल एहसास हूँ

मैं ख़ुद ही किताब हूँ,
कहानी हूँ, किरदार हूँ
खुशियों से, किस्सों से भरा हुआ भंडार हूँ

वैसे तो हूँ मैं भोली बहुत,
पर मेरे लिए मैं सबसे ख़ास हूँ।।

-


28 FEB 2023 AT 23:33

ये सूरज को सुबह उठाता कौन है
समय से रात में सुलाता कौन है

ये जो चाँद है सितारें है आसमान में सजे हुए
हर शाम इनको सजाता कौन है??

-


13 FEB 2023 AT 19:25

ये जो छाया है हर जगह माहौल प्यार का,
उसमें तुम्हारा दिया फूल ग़ुलाब का

ये छाई है हर जगह इश्क़ की लालिमा,
ये इश्क़ ही है या रंग गुलाल का

-


14 JAN 2023 AT 23:28

ये जो हर बार हमें देख कर नज़रें झुका लिया करते हैं
माशाल्लाह हर बार इस दिल को चुरा लिया करते हैं

बड़ी कमाल की अदाकारियाँ सिखी हैं आपने,
भले-बैठे इंसान को जो यूँ ही तबाह किया करते हैं।।

-


21 NOV 2022 AT 22:39

तुझसे मिलने की इस दिल में न जाने कितनी साज़िशें हुआ करती हैं
आखिर क्यों ये मोहब्बतें इतनी हसीन हुआ करती हैं...

-


3 AUG 2022 AT 12:59

गिरत-पड़त वो आई ऐसे, रो-रोकर सैलाब भरा
तन से टूटी मन से टूटी, बस यही सवाल करा
किन गलियों से गुज़रू मैं, कौनसा वस्त्र लपेटू मैं
लिबास चीर कर कहते हैं लिहाज़ में रहकर निकलाकर
बस इतना ही कह पाई वो, ओर शांत सहम कर बैठ गई
पंखों वाली चिड़िया फ़िर पिंजरे में आकर ठहर गई।।

-


Fetching Tejashvi Rathore Quotes