की मैं अग़र मर भी जाऊं कभी ,
तो रोने के साथ ज़रा मुस्कुरा भी लेना
याद कर के मेरी बातों को,
ज़रा ज़ोर से खिलखिला भी लेना
तारों में तो मुझे देखना ही नहीं कभी
अगर ज़्यादा याद आये तो अपने आस-पास ही निहार लेना
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I m a girl .
Wish me on 6 August 2002
Writing is my passion.
I am not borned wr... read more
डरो भी, रो भी, जताओ भी की दर्द है,
हर बार सह लेना जरूरी नहीं है।
कहो भी बताओ भी , अगर नहीं हो रहा तो,
हर बार चुप रहना जरूरी नहीं है।
थकी हो तो रुक जाओ , पड़ जाओ कमज़ोर भी,
कमज़ोर पड़ जाना हमेशा कमज़ोरी नहीं है।-
आजकल तन्हाइयों में तन्हाइयां कम ही होती हैं,
लफ्ज़ शांत पर मन में बातें कई होती हैं
कहने को तो सुनने वाले बहुत हैं मग़र,
कहने को कोई बात कहाँ ही होती है।।-
सुबह की चिक-चिक से थक हार कर,
रात के अंधेरों में सुकून ढूँढती हूँ।
दिन में तो सब सुन लेती चुपचाप मैं,
रातों को अक़्सर मैं बिलख-बिलख कर रोती हूँ।
ये हँसी, ये मुस्कुराहटें तो बस दिल बहलाने के हैं
ज़रा सा मुस्कुरा के खुद को समझा लेती हूँ।।-
मैं आसमान हूँ,
सूरज हूँ, चाँद हूँ
मंद-मंद हवा सा कोमल एहसास हूँ
मैं ख़ुद ही किताब हूँ,
कहानी हूँ, किरदार हूँ
खुशियों से, किस्सों से भरा हुआ भंडार हूँ
वैसे तो हूँ मैं भोली बहुत,
पर मेरे लिए मैं सबसे ख़ास हूँ।।-
ये सूरज को सुबह उठाता कौन है
समय से रात में सुलाता कौन है
ये जो चाँद है सितारें है आसमान में सजे हुए
हर शाम इनको सजाता कौन है??-
ये जो छाया है हर जगह माहौल प्यार का,
उसमें तुम्हारा दिया फूल ग़ुलाब का
ये छाई है हर जगह इश्क़ की लालिमा,
ये इश्क़ ही है या रंग गुलाल का-
ये जो हर बार हमें देख कर नज़रें झुका लिया करते हैं
माशाल्लाह हर बार इस दिल को चुरा लिया करते हैं
बड़ी कमाल की अदाकारियाँ सिखी हैं आपने,
भले-बैठे इंसान को जो यूँ ही तबाह किया करते हैं।।-
तुझसे मिलने की इस दिल में न जाने कितनी साज़िशें हुआ करती हैं
आखिर क्यों ये मोहब्बतें इतनी हसीन हुआ करती हैं...
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गिरत-पड़त वो आई ऐसे, रो-रोकर सैलाब भरा
तन से टूटी मन से टूटी, बस यही सवाल करा
किन गलियों से गुज़रू मैं, कौनसा वस्त्र लपेटू मैं
लिबास चीर कर कहते हैं लिहाज़ में रहकर निकलाकर
बस इतना ही कह पाई वो, ओर शांत सहम कर बैठ गई
पंखों वाली चिड़िया फ़िर पिंजरे में आकर ठहर गई।।-