शायद सब अधूरा रह जाएगा,
कब तक सिर्फ हार सेह पाएगा?
शतरंज की चालों की तयारी में,
घड़ी के काटो से शह पाएगा?
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दिन थोड़े जल्दी खत्म हो जा रहे है,
सोचा उससे कम काम हो पा रहे है।
लंबी थी फेहरिस्त कामों की मगर,
रोज एक दो अपने आप खो जा रहे है।
मरने दे रहे है हम सब सपनों को अपने,
कह रहे है दो घंटे ज्यादा सो पा रहे हैं।
"खुशी पाने के १०० तरीके" पढ़ कर,
बत्ती बुझाते ही हम सब रो जा रहे है।
दर्द का ठीकरा अधूरे इश्क पर फोड़,
हम खुद के भी नही हो पा रहे है।-
हजार कोशिश की शेर लिखने की,
बुझी हुई आग वो फिर सीखने की!
खींचा बाहर भीतर का शायर कई बार,
कमबख्त ने जुर्रत नहीं की दिखने की!-
इश्क़ दुनिया का भी मुझे
याद तुम्हारी दिलाता हैं।
तहख़ाने में रखे ग़मों से
फिर ले कर मिलाता हैं॥-
मैंने कुछ दिन की छुट्टी ली है,
छुट्टी ली है अपने कामों से,
हर पल बढ़ने वाले दामों से,
दुनिया के रखे मेरे नामों से,
काम में उलझी उन शामों से,
छुट्टी ली है अपने कामों से।-
कदम डगमगा रहे है हमारे,
ग़र अभी रुक तो नहीं रहे।
थक कर बैठे है कुछ पल,
ग़र अभी झुक तो नहीं रहे॥-
आज उठा भी हूँ और नींद से जागा भी,
देखा है आइना और देख मैं भागा नहीं।-
Ek khali diary badi
sambhaal kar rakhi hai,
Tumhare liye likhe
sher hua karte the usme!-