अजीब इश्क़ हैं यार ....
पता तो दोनो को हैं के एक दूसरे से मोहब्बत करतें हैं
लेक़िन इजहार दोनों भी नहीं करना चाहते।-
मदर्स डे आणि फादर्स डे
करतो साजरा प्रत्येकवर्षी.
परंतु कधीच रिकामी का नाही होत
वृद्धाश्रमे दिवसेंदिवसी.-
लाख करो किसीसे इश्क़ और मोहब्बत
मग़र लाख की चक्कर में अपने जिंदगी की
जेब में आवाज करतें उन दोस्तों को नहीं भूलना।
क्योंकि, इश्क़ का शोर दोस्तों के शोर से हमेशा
कुछ ज्यादा ही सुनाई देता हैं।-
रिश्तों की बातों के लिए पहले प्यार होना बड़ा जरूरी हैं।
रिश्ता शुरू होने से पहले इज़हार करना बड़ा जरूरी हैं।
दिल को हर बार अकेला न होने की तस्सल्ली देना अच्छा नहीं
जिंदगी में किसीसे मोहब्बत एक बार होना बड़ा जरूरी हैं।-
मोहब्बत के नामपर लोग मौत की सीढ़ियां चढ़ने लगे हैं।
यहाँ अपनो को भुलाकर, परायो से बातें बढ़ने लगें हैं।
कुछ लोगों को दिखावें की मोहब्बत ही रास आती हैं ज़नाब
अब बुरे लोगो को अपनाकर उनमें अच्छाई ढूँढने लगें हैं।-
ओंठोंपर छलकने वाली हर हँसी, हँसी नहीं हैं।
चेहरेपर दिखने वाली हर ख़ुशी, खुशी नहीं हैं।
हर बार लोगों के पास दिल ख़ाली करना जरूरी नहीं ज़नाब
क्योंकि लोगों के हाथ दिखने वाली हर रस्सी, रस्सी नहीं हैं।-
यहाँ हर आदमी को आदमियों से नफरत होने लगी हैं।
हर कोई, लीबास से अपनी शराफत दिखाने लगें हैं।
मन में झुठापन औऱ मुँह पर अच्छी बात करने लगें हैं।
आज अपने ही अपनों का धोके से साथ छोड़ने लगें हैं।
झूठा साबित करने के लिए, अपनो का अपने ही गला घोंटने लगें हैं।
प्यार, मोहब्बत और चंद पैसों के लिए अपनोसे रिश्ते तोड़ने लगें हैं।
इस जहाँ में गुमसुमसी हो गयी हैं अच्छाई की दीवारें।
अब हर बेटा कहता नहीं; हैं वो बेसहारा माँ-बाप हमारे।
अब हर कोई कहता हैं नहीं हैं वो लहू भरे हात पाँव हमारे।
अरे लहू की जरूरत क्या जब संभाल ना सकें तुम माँ बाप तुम्हारे।-
हृदयात तुझ्या जागा आहे का खाली?
कारण, तू पण खाली, मी पण खाली.-
मै जो लिख नहीं पाता था कुछ
अब दर्द, प्यार, मोहब्बत, याद लिखता हूँ।
जो जिंदगी नसीब ना हुई जिंदगी को
उसे लब्जों के जरिए हररोज खैरियत पूँछता हूँ।-
अवघ्या जगामधी माझ्या महाराष्ट्राची ख्याती
काय सांगू तुम्हा आमच्या महाराजांची महती
महाराष्ट्राच्या मातीवरी आले जन्मी शिवछत्रपती.
अवघ्या लहान वयामध्ये पडे वैऱ्यांना त्यांची भीती.
350 वर्ष्यानंतरही करितो आम्ही पूजा.
दैवस्थान मिळणारा आमचा शिवबा राजा.
तेच आमचा दैवत तेच आमचा बाप.
धडा त्यांनी शिकविला ज्यांनी केले पाप.
घृष्णेश्वरी महादेवाला वचन त्यांनी दिले.
सवंगाड्यांच्या सोबतीने स्वराज्य उभे केले.
स्वराज्याचे तोरण म्हणून तोरणा जिंकून घेतला.
दरबारी आदिलशाह थक्क होऊन बसला.
परस्त्री ही मातेसमान त्यांची ही शिकवण.
आज आठवण येत आहे तुमचीच राजन.
ऐश्वर्य, सुख, श्रीमंती नांदे घरोघरी.
सुखात किती होता स्वराज्यात शेतकरी!-