*उल्फ़त सी हो उठती ज़िन्दगी
जब उसे अपने आस-पास पाती हूँ*😘❤️... ✍️ *
मैं रचना ना कर सकूं
उसकी जिसने खुद मुझे रचा है* 🙌
❤️❤️❤️❤️❤️-
मासुम सी जान हैं
मौसम से अंजान हैं
कुछ बची है उल्फ़त सी
जिस पर ये दिल क़ुर्बान है
इन सर्द ऐ फिज़ाओ में
बस एक दूजे का ही सहारा है
#unity
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ना कोई फरियाद
ना कोई शिकायत
कुछ भी नहीं लफ्जों पे
सिवाय मुस्कान और ख़ामोशी
और वक्त के इंतिज़ार में!!-
मूसाफिर ने अलविदा मुझे नहीं मेरी खुशी को बोला जो वो खुद मुझसे दूर होकर मुझसे ले गया!!
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दिल में होते हुए भी, बाहर ना आता ये कश्मकश का सिलसिला!!
कभी-कभी ख़ुदको ही ना समझ पाता ये मुसाफ़िर, कि मुड़ना किस ओर है!!-
मेरे दोस्त दर्द ऐ दिल को
यूं बयां ना करना सबके सामने..
यहाँ खुशियों की हाज़िरी लगाना...
गम की उस खुदा पर करना हाज़िरी..
जो सबके लिए है खुला....-
बहुत हैं उसे चाहने वाले
और दिल लुटाने वाले,
और उस दिल के होने की फ़रमाइश सी बिछाये
पर,दिल आज भी उसी को चाहता है! न जाने क्यु*
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उस नजर के अलावा कभी किसी नजर को देखा नहीं पर अफ़सोस उस नजर की नज़र उस नजर पर कभी पड़ी ही नहीं!!!
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वक़्त भी कहाँ मरहम लगाता है
जब दर्द खुदका हो तो
दूजे को कहाँ समझ आता है
कुछ समझाना आसान होता है
समझना कुछ मुश्किल होता है इस कदर
वक़्त भी कहाँ मरहम लगाता है
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