गणेश चतुर्थी विशेष
तुम ही हो इस सृष्टि के कर्ताधर्ता,
विघ्न हरो जग के, हे विघ्नहर्ता!
तुम हो गजानन, तुम ही विनायक,
रिद्धि-सिद्धि दाता औ सुखदायक।
लम्बोदर तुम, देवा तुम ही गणेशा,
बन मार्गदर्शक संग चलना हमेशा।
शिव के दुलारे, तुम हो गौरी नंदन,
दुःख के पाषाणों का करो विखंडन।
तुम प्रथम-पूज्य, जग के पालक,
दुःखहर्ता हो, तुम कष्ट-निवारक।
मन में विराजित सदा मंगलमूर्ति,
मंगलकामनाओं की करना पूर्ति।
तुम्हारा है पर्व, घर आओ देवा,
पूरे हृदय से करें हम सब सेवा।
लड्डू-मोदक करेंगे तुम्हें अर्पण,
अंतिम दिवस पे करेंगे विसर्जन।
होके विसर्जित कहीं खो न जाना,
संकट की धारा में छोड़ न जाना।
हम भक्त तुम्हारे, तुमको पुकारें,
श्रद्धा-सुमन संग आरती उतारें।
~©तरुणा चौरसिया
-