Tarun Shiv   (सिम्पली तरुण)
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Joined 7 May 2018


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Joined 7 May 2018
30 JUL 2024 AT 21:05

सिसकते हुए से जज़्बात रिश रिश कर बाहर आते हैँ.
अक्सर जब दिल पर गहरे दर्द के खंजर चल जाते हैँ.
रूह मांगती हैं रहम जिश्म से रिहाई की हरपल.
जब रुक रुक कर वो नासूर दिन याद आ जाते हैं.

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9 JUN 2022 AT 23:05

हँसते चेहरों की उदासियाँ कहाँ पढ़ पाता है कोई ।
कितना कुछ है दिल में समझ पाता है कोई ।।
मसखरा नाम दे देती है ये सारी दुनियाँ अक्सर ।
पर असली कहानी कहाँ समझ पाता कोई ।।
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22 MAY 2022 AT 21:11

एक दूजे से जुदा हो कर शायद फिर ऐसा हो जाये ।
हम तुम को समझने लगे तुम हम को समझ जाओ ।।— % &

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24 APR 2022 AT 11:52

इतने हल्के मे मत आक जिंदगी ।
बहुत कुछ है जो अभी बाकी है ।।
अभी तो आभताब है फलक पर ।
अभी तो पूरी रात बाकी है ।।
हम ने भी खाई है कसम तुझ को यूं न छोड़ेंगे ।
अभी तो तेरे हर सितम का हिसाब बाकी है ।।— % &

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23 APR 2022 AT 22:48

चाँद से कहासुनी हो गयी ।
कह दिया जो तुझ मे दाग है ।
रूठ कर कहने लगा
दुनिया तुमने देखी कहा ।
दिल हैं स्याह सारे ,चेहरे बेदाग हैं ।।
— % &

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23 APR 2022 AT 18:09

रात हमें बाहों में भर ले
दिन से अब बनती नही ।
तू सुकूँ दे दे मुझे ।
अब कोई कमी खलती नही ।
पूछने वाला यहाँ हाले दिल कोई नही
जूझते रहते है हम खुद से यूँ ही कही ।— % &

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7 MAY 2021 AT 15:39

शिकायतों और दुवा मे अब शामिल हो बस तुम ।
ईश्क़ का सलीका हमको भी आने लगा है धीरे धीरे ।।

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26 APR 2020 AT 12:34

भूल जाने का सबब तो मालूम नही ।
पर मुझ से आँख चुराते हो ।।
दिल मे जो भी छुपा रखा है ।
क्यूं बाहर नही लाते हो ।।
बंदिश नही तुम पर मेरी कोई ।
जो दिल मे हो कह जाना ।।
आदत मेरी पुरानी है ।
हर दर्द यूँ ही सह जाना ।।
जब बात जुबा पर आए तो ।
सब आँखों से कह जाना ।।

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29 AUG 2018 AT 13:23

मेरे इश्क़ को तू यूँ बदनाम न कर ।
मेरे रहगुजर ये किस्से मोह्हबत के सरे आम न कर।।
एक तू ही तो है मेरा राजदार सारे जमाने मे ।
थोड़ा परदा भी रहने दे मुझे मुझे सरे राह बदनाम न कर।।

@सिम्पली तरुण

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28 AUG 2021 AT 12:48

दिल संभल जा जरा
थोड़ा इंतजार कर
कुछ सवाल कर
यूँ ना बेताबियाँ दिखा
ये "इश्क़" है ।
कुछ कदम बढ़ा
कुछ उनको आने दे
धड़कने काबू मे रख
थोड़ा हौसला बढ़ा
ये "ईश्क" हैं ।
सरगर्मियां बढ़ जाएंगी
नींद न फिर आएगी
याद किसी की दिलाएगी
बेताबियाँ साथ लाएगी
ये "इश्क" है ।



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