सिसकते हुए से जज़्बात रिश रिश कर बाहर आते हैँ.
अक्सर जब दिल पर गहरे दर्द के खंजर चल जाते हैँ.
रूह मांगती हैं रहम जिश्म से रिहाई की हरपल.
जब रुक रुक कर वो नासूर दिन याद आ जाते हैं.-
कभी इश्क़ किया कभी काम किया
इस काम को पूरा करने मे
हम इश्क़ अधूरा क... read more
हँसते चेहरों की उदासियाँ कहाँ पढ़ पाता है कोई ।
कितना कुछ है दिल में समझ पाता है कोई ।।
मसखरा नाम दे देती है ये सारी दुनियाँ अक्सर ।
पर असली कहानी कहाँ समझ पाता कोई ।।
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एक दूजे से जुदा हो कर शायद फिर ऐसा हो जाये ।
हम तुम को समझने लगे तुम हम को समझ जाओ ।।— % &-
इतने हल्के मे मत आक जिंदगी ।
बहुत कुछ है जो अभी बाकी है ।।
अभी तो आभताब है फलक पर ।
अभी तो पूरी रात बाकी है ।।
हम ने भी खाई है कसम तुझ को यूं न छोड़ेंगे ।
अभी तो तेरे हर सितम का हिसाब बाकी है ।।— % &-
चाँद से कहासुनी हो गयी ।
कह दिया जो तुझ मे दाग है ।
रूठ कर कहने लगा
दुनिया तुमने देखी कहा ।
दिल हैं स्याह सारे ,चेहरे बेदाग हैं ।।
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रात हमें बाहों में भर ले
दिन से अब बनती नही ।
तू सुकूँ दे दे मुझे ।
अब कोई कमी खलती नही ।
पूछने वाला यहाँ हाले दिल कोई नही
जूझते रहते है हम खुद से यूँ ही कही ।— % &-
शिकायतों और दुवा मे अब शामिल हो बस तुम ।
ईश्क़ का सलीका हमको भी आने लगा है धीरे धीरे ।।
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भूल जाने का सबब तो मालूम नही ।
पर मुझ से आँख चुराते हो ।।
दिल मे जो भी छुपा रखा है ।
क्यूं बाहर नही लाते हो ।।
बंदिश नही तुम पर मेरी कोई ।
जो दिल मे हो कह जाना ।।
आदत मेरी पुरानी है ।
हर दर्द यूँ ही सह जाना ।।
जब बात जुबा पर आए तो ।
सब आँखों से कह जाना ।।
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मेरे इश्क़ को तू यूँ बदनाम न कर ।
मेरे रहगुजर ये किस्से मोह्हबत के सरे आम न कर।।
एक तू ही तो है मेरा राजदार सारे जमाने मे ।
थोड़ा परदा भी रहने दे मुझे मुझे सरे राह बदनाम न कर।।
@सिम्पली तरुण-
दिल संभल जा जरा
थोड़ा इंतजार कर
कुछ सवाल कर
यूँ ना बेताबियाँ दिखा
ये "इश्क़" है ।
कुछ कदम बढ़ा
कुछ उनको आने दे
धड़कने काबू मे रख
थोड़ा हौसला बढ़ा
ये "ईश्क" हैं ।
सरगर्मियां बढ़ जाएंगी
नींद न फिर आएगी
याद किसी की दिलाएगी
बेताबियाँ साथ लाएगी
ये "इश्क" है ।
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