सुरमे वाले नैन और तेरे खुले बाल प्रिये,
तेरे यूँ लोगों की बातों पर मुस्कुराना कमाल प्रिये।
नज़र जी की नज़र को जबसे तुम नज़र आई,
तबसे इन नज़र जी ने कहीं और न नज़र मिलाई।
गले पर जो तिल है वो बड़ा ही लाजवाब प्रिये,
उस पर टिकती नज़र और थम जाता है ख्वाब प्रिये।
जिसमें छुपी है अदाओं की एक प्यारी सी बात प्रिये,
देखते ही उस तिल को दिल हो गया तेरे साथ प्रिये।
@Tarun Sharma-
बो लोग कहीं नहीं पहुँचते जो घर से नहीं निकलते?
लेकिन क्या आसान होता है यूँ ही घर से निकलना?
कुछ ज़िम्मेदारियाँ, कुछ अहसास, कुछ रिश्ते—
सबको उन्हीं ने समेट रखा है,
जो घर की दहलीज़ से आगे नहीं बढ़ पाते।
बहुत से लोग घर से निकले, लेकिन रास्तों पर ही रह गए,
मंज़िल उन्हें भी नहीं मिली।
हाँ बहुत से घर से निकले, रास्ते पर मंज़िल के साथ ही खुद को खो दिया।
कुछ लौटे तो सही-सलामत, मगर वो पहले जैसे नहीं थे,
कुछ को सफ़र ने इतना बदला कि अपनी पहचान तक भूल बैठे।
कुछ ने मंज़िलें पाईं, मगर वो मंज़िलें उनके परिवार के काम न आ सकीं।
और कुछ ऐसे भी थे जो खुद ही किसी की मंज़िल बन गए।
कुछ ने राह में ठोकरें खाईं, मगर हर ठोकर ने उन्हें और मज़बूत बना दिया।
कुछ ने हार मान ली, तो कुछ ने हार को भी जीत में बदल दिया।
किसी के लिए सफ़र बोझ बन गया, तो किसी के लिए सफ़र ही उसकी पहचान बन गया।
घर से निकलना सिर्फ़ बाहर जाने का नाम नहीं,
ये एक फैसले की तरह होता है—
जहाँ हिम्मत और हौसला हो, वहाँ ही सफर मुकम्मल होता है।
जो निकलते हैं, वे या तो मंज़िल तक पहुँचते हैं,
या फिर रास्ते ही उन्हें कोई नया मतलब सिखा देते हैं।
@Tarun Sharma-
पहली मोहब्बत मैंने माँ को माना,
आख़िरी तुम्हें बना लूँ क्या?
जब ये मैं बोलूँ, तुम पलकें झपकाओ तो,
“हाँ” समझ कर सपने सजों लूँ क्या?
तेरे साथ चलके जो मिले सुकून,
उस लम्हे को ज़िन्दगी बना लूँ क्या?
तेरी बातों में जो मिठास बसती है,
उस एहसास को दिल में बसा लूँ क्या?
तेरी आँखों में जो सपने संवरते हैं,
उन सपनों को अपना बना लूँ क्या?
अगर तू चाहे तो तेरा हो जाऊँ,
ख़ुद को तुझमें मिटा लूँ क्या?
- Tarun Sharma-
बिन मुहूर्त ही जन्म लिया,
बिन मुहूर्त ही जाना है,
जो विधाता ने लिख दिया,
उसे कैसे मिटाना है?
नई सोच जो मन में आई,
वह भी तो शायद उसकी इच्छा है?
फिर पंडित से क्यों पूछते हैं,
जो खुद भी उसी का एक अंश है?
समय के बंधन में क्यों बांधते,
जब जीवन भी उसका वरदान है,
निष्कपट भाव से कर्म करो,
यही तो असली संवाद है।
ना जन्म का ज्ञान था, ना मृत्यु का भान,
फिर नए कार्य के लिए क्यों इंतज़ार है?
हर सोच, हर पल, जो मन में आए,
वही तो उसकी मर्जी का इशारा है।
साहस से राह पकड़ो, मत झिझको,
क्योंकि जीवन चलने का ही सहारा है।
- Tarun Sharma-
"खूबसूरती दिल की होती है"
जमीं पर खूबसूरती रंगों से नहीं नापी जाती,
सच तो ये है, ये दिल की गहराइयों से आती।
सांवला रंग तो बस कुदरत का एक नजराना है,
हकीकत में इंसानियत ही नूर का तराना है।
तेरी बातों में जो मिठास है, वो कहां रंगों में,
तेरे एहसास में जो सुकून है, वो नहीं तरंगों में।
चमकते चेहरे वक्त के साथ फीके पड़ जाते हैं,
पर सच्चे जज्बात दिलों में बस जाते हैं।
रंग-रूप से बढ़कर है जो दोस्ताना हमारा,
जहां सिर्फ दिल बोलता है, ना कोई इशारा।
तू जैसी है, बस वैसी ही मुझे पसंद है,
क्योंकि असली खूबसूरती तुम्हारा दिल
और तुम्हारी मुस्कान है।
- Tarun Sharma-
अगर वो मुझसे पूछे कि मैं ही क्यों?
तो मैं उसे कह दूं, आंखें बंद करू तो तुम्हें देखता हूं।
आंखें खोलू तो तुम्हें देखना चाहता हूं,
अगर कभी सामने आ जाओ तो तुम्हें बस निहारना चाहता हूं,
अगर आंखें मिलाओ तो सिर्फ मौन रहकर इनमें डूब जाना चाहता हूं।
अगर कभी तुम बात करो तो हर लफ्ज़ सुनकर जी उठता हूं,
और अगर खामोश रहो तो तुम्हारी खामोशी को महसूस करता हूं।
तुम्हारे होठों की मुस्कान मेरी दुनिया रोशन करती है,
और तुम्हारी आंखों में देखा सपना मेरी ज़िन्दगी बन जाता है।
अगर कभी तुम्हें छूने का हक़ मिले,
तो बस तुम्हारी धड़कन महसूस करना चाहता हूं।
अगर तुम्हारे करीब आने का मौका मिले,
तो तुम्हारी रूह से गले लगके मिलना चाहता हूं।
और अगर तुम फिर पूछो कि मैं ही क्यों?
तो कहूंगा, अभी तक तो बस अल्फाज़ में बसर है,
पर मिलने के बाद, शायद ज़िन्दगी एक सफर है।
तब मेरी हर खुशी तुमसे जुड़ी होगी,
और हर खामोशी सिर्फ तुमसे भरी होगी।
- Tarun Sharma-
वो चाहती है कि उसे चाहा भी जाए,
और उससे कोई उम्मीद भी न लगाई जाए।
जैसे दिल के करीब रहकर भी,
एक अजनबी सा फासला बनाए रखा जाए।
वो चाहती है कि उसे समझा जाए,
बिना कुछ कहे, बिना सवाल किए।
जैसे उसकी खामोशी खुद बयां कर दे,
जो उसके दिल की गहराइयों में छुपा हुआ है।
कभी वो अपनी बातों से मोहब्बत के दरवाजे खोलती है,
तो कभी उन दरवाजों पर ताले भी लगा देती है।
उसकी उलझनें उसकी पहचान बन जाती हैं,
और उसकी झिझक में उसकी सादगी चमकती है।
वो चाहती है कि उसकी हर चाहत पूरी हो,
पर बिना किसी वादे, बिना किसी बंधन के।
जैसे उसे अपना सब कुछ देना है,
पर अपना कुछ भी खोने से डरती है।
- Tarun Sharma-
वो मेरे साथ आगे बढ़ तो रही है,
मगर मुड़-मुड़ कर पीछे देखती है।
जैसे हर कदम पर ठहर कर सोचती हो,
क्या ये रास्ता सही है, या वो गलती करती है।
कभी मेरी बातों पर खामोशी का परदा डाल देती है,
तो कभी जवाब में उसकी बेचैनी झलकती है।
कभी लगता है, जैसे वो सब समझ चुकी है,
तो कभी उसकी नज़रें हर सवाल टाल देती हैं।
उसकी बातों में कभी अनकही सी कहानियां होती हैं,
तो कभी उसकी चुप्पी में बसी तन्हाइयां रोती हैं।
कभी उसके शब्दों में उम्मीद की रोशनी होती है,
तो कभी उसके फैसलों में एक उलझन होती है।
वो दोस्ती के रास्ते पर धीरे-धीरे चलती है,
जैसे हर कदम पर अपने दिल से लड़ती है।
वो साथ रहकर भी जैसे दूर रहना चाहती है,
जैसे अपने ख्यालों की दुनिया में खो जाना चाहती है।
- Tarun Sharma-
जैसे ही रात में उसने पूछा,
"तुम अभी क्या कर रहे हो?"
मैंने कहा, "धूप सेंक रहा हूँ।"
वो बोली, "तुम पागल तो नहीं हो गए?"
मैंने कहा, "जब दिल में इतनी बेचैनी हो,
तो मौसम का हाल पता नहीं चलता,
दिन में सूरज का प्रकाश नजर नहीं आता,
और रातों में उस उजाले को ढूंढता हूँ,
जो सिर्फ तुम्हारी बातों में मिलता है।"
मैंने अपनी बातों में सब कुछ कह दिया,
"जहां तुम्हारी बातें खत्म होती हैं,
वहीं से मेरी रात शुरू होती है।
और जब तुम नहीं होती,
तो बस खामोशी का साथ होता है l
उन चैट के अल्फाजों में भी एक खामोशी थी,
लेकिन मेरी बातों का उजाला
उस रात के अंधेरों को रौशन कर रहा था,
जैसे चाँद अपनी रोशनी से सागर को सुकून देता है।
वो खामोशी भी जैसे कुछ कह रही थी,
और मैं अपने शब्दों से
उस खामोशी का हर राज़ समझने की कोशिश कर रहा था।
-Tarun Sharma-
स्वागत है 2025, नए साल में नई राहें, नए सपने, और नई जीत!
इस नए साल को नई विचार धाराओं से भरना है,
कभी खुद पर तो कभी हद पर काम करना है।
जो भी सपने, देखें हैं 2024 तक,
रह गए हैं अधूरे, अब उन्हें संपूर्ण करना है।
ना निराशा से, ना ही हताशा से पीछे हटूंगा,
हर मुश्किल को अपनी ताकत से जीतूंगा।
सपनों को पंख देना है, उड़ान भरनी है,
अपने विश्वास की नयी पहचान करनी है।
हर कदम पर सीखेंगे, गिरेंगे, संभलेंगे,
चुनौतियों से टकराकर नए रास्ते बदलेंगे।
इस साल को एक नया इतिहास बनाना है,
खुद को नए शिखर पर ले जाना है।
- Tarun Sharma-