ऐ - ज़िंदगी बहुत कुछ छीना है तूने,
मैं भी जिद्दी हूं कई गुना वापस करेगी मुझको।-
" बापू "
कच्चे धागों से मजबूत रस्सी बनाता रहता है,
सबको प्रेम की रस्सी से हर घड़ी बांधता रहता है,
गम में सबसे आगे खड़ा होकर साहस बढ़ाता रहता है,
बापू ही है जो हर घड़ी मुस्कराता रहता है ।
पढ़ाया - लिखाया, गलत - सही में फ़र्क समझाया, मंजिलों को पाना कैसे है, समझाता रहता है,
वक़्त ने जब - जब हराना चाहा, कदमों को अपने आगे बढ़ाया,
हर दफ़ा जीत के दिखाया है,
मैंने देखी उनकी हिम्मत कलेजे के टुकड़े को मुस्कराते हुए डोली में बिठाया है,
बापू ही है जो हर घड़ी मुस्कराता रहता है ।
सीखा है हमने, जीना है कैसे, उनसे ही है,
बताया है उन्होंने कदमों को कैसे बढ़ाना है,
बताया उन्होंने आसमां कैसे छूना है,
खड़ा है वो प्रतिपल हमारे साथ, लड़ना है कैसे बताता रहता है,
सिखाया है वो इल्म हर घड़ी मुस्कराना कैसे है,
बापू ही है जो हर घड़ी मुस्कराता रहता है ।
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डूबा कहाँ है उससे बाहर निकल,
किसकी ख़ोज में है,
पहले ख़ुद से मुलाकात तो कर,
कर कुछ ऐसे मिशाल तो बन ।
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दो बोल बोले मन से बोले,
दो बातें हुई दिल से हुई,
आँखों के इशारे हुए,
दोनों बहके।
ख़ामोश रहे, दोनों रहे,
मुस्कराए, दोनों मुस्कराए,
लव खुले, दोनों खुले
इज़हार करने से दोनों रुके।
धीरे धीरे हुए, दोनों हुए,
इज़हार किए दोनों किए,
इश्क़ किए, दोनों किए,
इश्क़ के रंग में दोनों रंगे।
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उनकी निगाहों के इशारे बड़े कटीले हैं,
जान से नही मारते दिल में ज़ख्म करते हैं।-
इंसान के अंदर अगर गुण, दूसरों का सम्मान, नहीं करना आता,
तो वह एक खाली बोतल के समान है,
उस व्यक्ति पर कुछ फ़र्क नही पड़ता किसी का भी।-
नन्हें कदम सदन में जब आ जाते हैं,
सदन को स्वर्ग से सुन्दर बना देते हैं,
खिल उठती है हर कली और फूल,
जब वो ( नन्हें मुन्ने) मुस्करा देते है।-
नये वस्त्र ख़ुद नहीं पहनता है,
वो ( पिता) अपनी बुढ़ापे की दौलत( संतान) से बे - शुमार प्रेम करता है।-
अंधेरी रात में निकल पड़ा,
सुनसान सड़क और साँसों का शोर,
मंज़िल थी दूर और तन मन में जोश,
निकला था जिस की खोज में,
देख के मेरा जोश, खिंची चली आई मेरी ओर।-
ज़िंदगी एक हिसाब है,
जिसने घटा के जोड़ दी ,
वो ही ज़िंदगी का गणितज्ञ।-