मुझे आज नशा हुआ है कि वो तुम्हारी आंखों से चढ़ा है,
मिलने की ख्वाइश तुमसे कि मेरे दिल में दर्द बड़ा है।-
तू बा-वफ़ा तो नहीं बेवफ़ा जरूर थी, तू मेरी प्यास तो नहीं कशिश जरूर थी,
शिकवा-ए-बुताँ भी कई हैं तुझसे क्यूंकि तू अब मेरे प्यार के काबिल ही नहीं थी।।-
तेरे पत्थर दिल ने आज आवाज लगाई है शायद मुझे दुबारा खुदा बनाने की गुहार लगाई है,
तसद्दुक तो कई किए हैं हमारे दिल ने भी लेकिन तू अब हमारे इश्क के लायक ही नहीं है।।-
तेरे दिए हुए जख्मों का हिसाब तो तुझे देना ही पड़ेगा, तेरे दिए हुए प्यार को तो अब मोड़ना पड़ेगा,
शराफत छोड़ दी है हमने क्योंकि तेरे प्यार का तौहीन भी अब हमें ही करना पड़ेगा।।-
शिकस्त-ए-दिल तो हो चुकी है, लेकिन अब तुमसे भी कुछ ज़िद सी हो चुकी है तअल्लुक़-ए-ख़ातिर करनी भी तुमसे ही है और अपनी अना का आबाद होना भी तुमसे ही है।।
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अमृत समझ कर पीया तुम्हे, तुम तो ज़हर ही बन गए
मोहब्बत की बेइंतेहा तुमसे और तुम किसी और के ही बन गए।।-
हम बुरे हैं ये सारी दुनिया को पता है, तेरे दीदार का बुखार आज भी हमारी आखों को चढ़ा है,
यूं बदनाम ना कर ए ज़ालिम हमें,
हम बेवफ़ा जरूर हैं लेकिन तेरी महक का नशा आज भी हमारे सिर चढ़ा है।।-
सुना है बाजार में इश्क बिकने लगा है,
फिर दिला दो मुझे मेरे यार को कि वो अब कितने में बिकने लगा है।।-
जुलूस सा दिख रहा है मुझे इस इश्क में, कहीं ये मेरे खिलाफ यलगार को तो नहीं ??
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सुना है, हवा ने आज अपनी करवट बदली है,
शायद मेरे यार ने आज अपनी नीयत बदली है।।
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