#️⃣TaruN Daharwal💚✍🏻   (#️⃣तरूण...औऱ कलम💚✍🏻)
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Joined 12 June 2020


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Joined 12 June 2020

तुझमें से तू
तू निकाल
मुझमें से मैं
मैं निकालूँ
फ़िर आओ हम दोनों
हममे से
हम निकालें

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जब आई वो यहाँ
बिहा के
घर-बार सब अपना
भूला के
साजन संग निभाने
रिवाजों के बंधन
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{पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़े}

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ख्वाहिशें ख्वाहिशें दर्द ए दुश्वार हो गई 
वो ऐसे रूठे मानो, फ़िज़ाऐं बीमार हो गई 
रंगत छोड़ दी फूलों ने, दीयों ने उजाला 
तीर लगा धीरे फिरभी, नोक आरपार हो गई
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{पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़े}

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हम चले आयेंगे
अंतर्मन में अंतर्द्वंद
जब कभीं दिल ना लगे
हंसी होठों से अपाहिज हो
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{पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़े}

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ऊँचे आसमान से मेरी
ज़मीं देख लो
तुम ख़ाब कोई आज़
हसीं देख लो
अगर आज़माना हैं
ऐतबार को मेरे
तो एक झूठ बोलो
औऱ मेरा यक़ीं देख लो

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वर्षा की रिमझिम गिरती बूंदें
यादों में पहुँचाती हैं
सुन्न पड़े दिल के कोने को
अन्दर तक छू जाती हैं
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{पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़े}

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ना बारिश को समझने की
कोशिश हों
ना गीतों के
मतलब निकाले जाएं|

ख़ूबसूरती में थोड़ा वहम
ज़रूरी है||

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साँस धीरे-धीरे चल
सफ़र लम्बा अभी बाकी बहुत

मदहोश जवाँ धड़कनों सुनो
ग़म का सागर अभी खाली बहुत

एक ही शख्स तो नहीं था जहां में 
औऱ भी बहारें अभी आनी बहुत

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शुरूआत है अभी
अभी धोखा खाया नहीं तुमने
राह बाकी है अभी
अभी सबको आजमाया नहीं तुमने
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{पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़े}

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मुस्कुराहट बौखला जाती है
ख़ता के आगे
सारा जहाँ छोटा नज़र आता है
माँ के आगे
क्यूं सर फोड़ते हो बीमारियो की
किताबों से
नाम उसी का लिखा मिलेगा हर
दवा के आगे
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{पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़े}

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