राजनीति पर प्रहार.....
राजनीति की चकाचौंध ने लाखों रिश्ते तोड़े,
नहीं थे बनने रिश्ते जो वो भी हमसे जोड़े।
राजगद्दी की ललकार ने जाने कितने सर फोड़े।
भाई-भाई से क्लैश कराकर निर्मम ह्रदय बनाकर छोड़े।
औ....राजनीति की चकाचौंध ने लाखों रिश्ते तोड़े।
वादे हजार करके,
सब भूल-भाल करके।
अन्यायों से भर रहे हैं नेता अपने कर्मों के मटके,
जाति-पाति औ धर्म-अधर्म ने उड़ा दिये हैं प्रजातंत्र के छक्के।
राजनीति के मंच में हुई नेताओं की भीड़,
इसकी बुराई, उसकी बुराई,
करते करते,
हो गई अर्थव्यवस्था क्षीण।
राजनीति के त्योहार में हुई मतदाताओं की भीड़,
सोच में डूबा मतदाता वर्ग कि किसको मत दे करें तोड़े दुविधा की जंजीर।
राजनीति की दुनिया में गिरगिटों की कोई कमी नहीं,
कल तक जिनको कोशा करते वो बात भी थमी नहीं।
सियासी अखाड़े की जंग ने कर दी हैं नफरत की दीवारें खड़ी,
कि सियासी अखाड़े की जंग ने कर दी हैं नफरत की दीवारें खड़ी,
राजनीति के जाल में ढह गई हैं प्रेम - पुण्य की दीवारें बड़ी-बड़ी।।
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