जिंदगी का क्या है उसे तो बस सालों के पन्ने भरने है,,,। कलाकारी तो हमारी है जिनसे वो पन्ने रंगने है,,,,,। सारे रंग ना भी मिले ,तो क्या जिंदगी के हर किरदार में रंग तो भरने है,,,,।
बलात्कार ,बलात्कारी की परवरिश में हनन हो सकता है संस्कारों का हनन हो सकता है चरित्र में हनन हो सकता है मानसिक क्षमता में हनन हो सकता है स्त्री के अधिकारों का हनन हो सकता है लेकिन स्त्री के सम्मान का हनन नही हो सकता बलात्कार स्त्री के साथ हुई दुर्घटना है, उसके सम्मान का माप दंड नहीं
हमें प्रेम और मोह में अंतर समझना होगा, प्रेम हमारे अस्तित्व का विस्तार है मोह स्वार्थ है,हमारे विस्तार पे लगा विराम है, वो विराम अल्प है कि पूर्ण ,बस यही जीवन का संधान है
स्त्रियों को प्रेम और मोह की चाह होती है ,,शायद उनकी सफलता से ज्यादा उनकी उपेक्षा से ज्यादा उनकी अपेक्षा से ज्यादा उनके सपनों से ज्यादा वो प्रेम को ही चुनती है, और उनका यही प्रेम सृष्टि को निरंतरता,देता है पुरुष को सामर्थ्य ,प्रकृति को सुंदरता देता है