अब फुर्सत नहीं होती, पर तुम्हारा ख्याल रहता है
तुम्हें याद करने के लिए, बस ये इतवार रहता है-
अब खालीपन की क्या सफाई दूँ सबको
तन्हाई में भी क्यों दिखाई दूँ सबको
लोग जाने कहाँ-कहाँ से पूछ रहे हैं हाल मेरा
क्यों खामोशी में भी सुनाई दूँ सबको-
नज़्में जोड़ता हूँ, एक ही रंग की स्याही से
भरा न जाने कितने रंगों का सार है
बेरंग से जहांन में, थोड़ा सा रंग लगाते है
ज़रा पास आओ, आज होली का त्यौहार है
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उल्फ़त-ए-घाव इतने थे, फिर भी मैंनें इंतेज़ार किया था
मुझे इसमें ही तसल्ली है, की उसने भी इज़हार किया था— % &-
इज़हार और इक़रार न सही, प्यार करना काफ़ी है
ग़र मोहब्बत सच्ची हो तो इंतज़ार करना काफ़ी है ❤️
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न दुःखी आज हूँ और न ख़ुश कल था
हर गम का कारण रक़ीब हो, ज़रूरी तो नहीं
मुझे मालूम है, महरूम हूँ दीदार-ए-हुस्न से
पर हर बात को मोहब्बत से जोड़ूँ, ज़रूरी तो नहीं
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तुम्हें बुलाता हूँ जब बिखरा सा महसूस होता है
और तुम तब आती हो जब मैं खुद को समेट लेता हूँ-
उड़ना नहीं है, बस चलना सीख लूँ
जो मिले उसे बाँटना सीख लूँ
कोशिश, शिकायत सब करके देख लिया मैंनें
बस अब सब्र करना सीख लूँ
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मुड़के देख, तेरी याद हूँ मैं
हिज़्र के ग़म की फरियाद हूँ मैं
मेरा हर लफ्ज़ तेरा सजदा करता है
तेरी याद में देख, बर्बाद हूँ मैं
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कॉलेज बस की खिड़की और मचलते सवाल है
खुशी के माहौल में अजीब सा मलाल है
वक़्त इतना गुज़र चुका पर न जाने किसका इंतज़ार है
मैं रुसवा हूँ ज़माने में, कैसी सोहबत बस बुरा हाल है
मुझे मालूम खुद का नहीं, तुम पर लिखूं तो क्या बात है
मिलूँगा तुम्हें उसी मोड़ पर, जहाँ रुकते सारे ख्याल है-