ये शब्द कलम से कागज पर उतरते हैं ऐसे,
कविता बन जाते हैं न जाने कैसे?
दरअसल ये शब्द नहीं,
हृदय के भाव होते हैं।
कुछ महसूस किए हुए ,
आत्मा पर लगे गहरे घाव होते हैं।
कलम से कागज पर उतरते ही जैसे,
शब्द कविता बन जाते हैं न जाने कैसे??-
#hodophile
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तूफानों से टकराकर जब तुम्हारी कश्तियां डगमगाएंगी,
किनारों की खोज में जा कहीं चट्टानों से टकराएंगी।
होगा न जब चारों ओर तुम्हें सहारा देने को,
तुम्हें मुसीबतों से बचा कर सही राह दिखाने को,
बस तब,उसी क्षण तुम्हें खुद की क्षमता पहचाननी होगी,
लोगों के बिना जिंदगी जीने की कला निखारनी होगी।
फिर उस पल से तुम खुद को दुनिया की भीड़ से जुदा सा पाओगी,
तुम खुद ही खुद के लिए पर्याप्त सी बन जाओगी।
फिर होगा चाहे कोई भी मंज़र,तुम खुद ही खुद को संभाल लोगी,
हर एक परेशानी को तुम एक करारा जवाब दोगी।
तुम्हारी कमजोरियां ही फिर तुम्हारी ताकत बन जाएंगी,
तुम्हारे हौसलों को देख फिर तुम्हारी परेशानियां भी घबराएंगी।।-
पहचान तुम्हारी सिर्फ काबिलियत से ही होगी...
यूं शीशे में खुद को संवार कर,वक्त जाया ना करो।।-
जब भी मेरे होठों पर झूठी मुस्कान रहती है,
समझ जाती है बिना बोले ही मेरी तकलीफे,
ना जाने कैसे "मां" को छिपे हुए दर्द की भी पहचान होती है।।-
अपने अंदर के महाभारत से धैर्य से लड़ते रहो...
किसी मोड़ पर तो केशव सारथी बनकर जरूर आयेंगे।-
Krishna always says...
चाहे कोई भी युग हो,चाहे कोई भी परिस्थिति।
सत्य परेशान हो सकता है,किंतु परास्त नहीं।।-
बड़ी ही खूबसूरती से खुदा ने ख़ुद की जगह
दो फरिश्तों को बनाया है,
बड़े ही खुशनसीब हैं वो वो बच्चे जिनके
सर पर माता-पिता दोनो का साया है।।
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जरूरी नहीं की हर बार बददुआ ही बर्बाद करे...
किसी का हद से ज्यादा सब्र भी आपको तबाह कर सकता है।।
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बेशक आज मुश्किलों से घिरा हुआ है जीवन,
पर हर मुश्किल का कोई न कोई 'हल 'होगा।।
आज नहीं तो निश्चित 'कल' होगा।।
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