Tanya Rathore   (Bर्फी)
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Joined 22 August 2018


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Joined 22 August 2018
30 MAY 2022 AT 0:05

तो मिरे आसपास फैली होती है खुशबुएं,
समझता कौन है इस प्यार को, वो पूछते हैं
खुशबू मोगरे की है या गुलाब की।

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15 DEC 2021 AT 18:37

I'm irony!
Sometimes I'm silently
making noise.

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24 NOV 2021 AT 3:35

a dark desire within you.

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23 NOV 2021 AT 20:16

जिस रास्ते पर तुमने किसी रोज एक पौधा लगाया था, मैं कई बार उससे गुजरी। उसे मैंने बढ़ते हुए देखा, फूलों को देखा, उसकी पत्तियों को छूकर महसूस किया। आज मैं फिर से वहां से गुजरी, तो देखा मैंने वो पौधा आज एक पेड़ बन चुका है।
तुम सही थे, जिस पौधे को तुम लगाओगे वो एक दिन पेड़ जरूर बनेगा।
जब वो पौधा था, तुम थे, आज वो पौधा नहीं तो तुम नहीं। मगर अब वहां वो पेड़ है, तुम इसे देखने आओगे।
वो पौधा था, तो मैं थी, अब नहीं है, तो मैं भी नहीं।
जिस तरह तुम मुझको नहीं मिलते उसी तरह मैं भी नही मिलूंगी।

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28 SEP 2021 AT 20:41

Your touch, on my face!
traps me in your cage.
Your presence, in my eyes!
loves me till death dies.
Your words, on my lips!
make me blush during risks.

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30 AUG 2021 AT 1:11

दुनिया की हमसे शिकायतें बढ़ती हैं तो बढ़ जाएं,
अपने में मसरूफ़ रहना आज ज़माने की जरूरत है।

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26 AUG 2021 AT 20:37

A voice, that always echoes in my heart.
That always passionates me to find myself in the dark.
That always makes me wonder for what i am.
That always reveals truths to me. A voice,
of you, always memorizes me about your presence.

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18 AUG 2021 AT 0:23

सुना है अनचाहे की कोई महक नहीं होती।
तुम्हें कोई महक आती है मुझसे?
अगर मैं न भी महकूं तो ये समझना के मेरी महक
शायद तुम्हारे अनचाहे की ना होकर किसी और के
अनचाहे की है।

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8 AUG 2021 AT 20:21

अब किस तरह कल को अपने मैं तैयार करूं,
मेरा आज तो किसी पहाड़ सा ठहर गया है।

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4 AUG 2021 AT 13:20

मैं बैठी रही तुम्हारे सिरहाने,
तुम्हें देखती रही कुछ लिखने
के बहाने, के फिर बारिश आ
गई, मैं तेरे और पास आ गई,
भीग जाने के डर के बहाने।

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