तो मिरे आसपास फैली होती है खुशबुएं,
समझता कौन है इस प्यार को, वो पूछते हैं
खुशबू मोगरे की है या गुलाब की।-
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जिस रास्ते पर तुमने किसी रोज एक पौधा लगाया था, मैं कई बार उससे गुजरी। उसे मैंने बढ़ते हुए देखा, फूलों को देखा, उसकी पत्तियों को छूकर महसूस किया। आज मैं फिर से वहां से गुजरी, तो देखा मैंने वो पौधा आज एक पेड़ बन चुका है।
तुम सही थे, जिस पौधे को तुम लगाओगे वो एक दिन पेड़ जरूर बनेगा।
जब वो पौधा था, तुम थे, आज वो पौधा नहीं तो तुम नहीं। मगर अब वहां वो पेड़ है, तुम इसे देखने आओगे।
वो पौधा था, तो मैं थी, अब नहीं है, तो मैं भी नहीं।
जिस तरह तुम मुझको नहीं मिलते उसी तरह मैं भी नही मिलूंगी।
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Your touch, on my face!
traps me in your cage.
Your presence, in my eyes!
loves me till death dies.
Your words, on my lips!
make me blush during risks.
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दुनिया की हमसे शिकायतें बढ़ती हैं तो बढ़ जाएं,
अपने में मसरूफ़ रहना आज ज़माने की जरूरत है।-
A voice, that always echoes in my heart.
That always passionates me to find myself in the dark.
That always makes me wonder for what i am.
That always reveals truths to me. A voice,
of you, always memorizes me about your presence.-
सुना है अनचाहे की कोई महक नहीं होती।
तुम्हें कोई महक आती है मुझसे?
अगर मैं न भी महकूं तो ये समझना के मेरी महक
शायद तुम्हारे अनचाहे की ना होकर किसी और के
अनचाहे की है।-
अब किस तरह कल को अपने मैं तैयार करूं,
मेरा आज तो किसी पहाड़ सा ठहर गया है।-
मैं बैठी रही तुम्हारे सिरहाने,
तुम्हें देखती रही कुछ लिखने
के बहाने, के फिर बारिश आ
गई, मैं तेरे और पास आ गई,
भीग जाने के डर के बहाने।-