कुछ बारिश की बूँदों जैसा था तू, तेरे आते ही सब नया सा लगता था.
याद है मुझे वो वक्त से चुराए हुए लम्हों में हमारी चाय की चुस्किया लेना, बात बात पर खींचा-तानी करना.
लोग जीने मरने की बातें किया करते थे, हम तो बस एक दूजे के लिए जिया करते थे.
तेरा मुझे यू टोकना और मेरा तुझे कुछ पल ज़्यादा रोकना.
पर अब तू चल गया तेरी याद रह गई, स्मृति में वो मुलाकातें रह गई...
आज भी तुझे पसंद है इसलिए आँखो में काजल लगा लेती हूँ, कुछ तस्वीरें जो रह गई है उन्हें देख कर वोही ज़िंदगी जी लिया करती हूँ.
पर अब तू चल गया तेरी याद रह गई, स्मृति में वो मुलाकातें रह गई...
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