शिव नही हु मै
लेकिन हलाहल पिया है मै ने भी
मस्तिष्क गरम है
कंठ भी जल रहा है !!
मंथन मे निकले द्वेष क्रोध कलह मत्सर
सब के घूँट से शरीर तप रहा है !!
लेकिन मै ने भी चुन लिया है बर्फिली वादियों मे रहना थोडी चिलपिल लेना
सारी भावनाओ को काबु पा लेना
मस्तिष्क को थंडा रखना
हाँ !! अब शिव का एक हिस्सा हुँ मै !!
-
हजारो लाखो बिंदुओ से एक रेखा बनती है,
सरल होना भी इतना आसान नही !-
" i want my mirror image wud have reflection of you ,that curved smile , dimpled chin and bright complexion
your aura your presence deep within me " she whispered.....
" but the beard defines me only ... be you as you..i want 'that you " he spoke in an undertone .
-
सुर्ख जोडो मे लपेटा हुआ एक एहसास
छेडखानी करता है बिखरी लटो से ,
बज उठती है मन की तार ,
जैसे छेड़ रहा कोई लंबे अरसो बाद सितार
मन सिहर सा होने लगा
जैसे अधुरा सा था सरगम,
साज के बिना !!-
पहुँचना है तुम सें तुमतक ,
छु कर आना है ऊस अंर्तमन की गहराइयो को
लगना है तुम्हारे गलें
एक नवजात शिशु की तरहा
किलकिलाती आँखोसे देखना है तुम्हे ,
फिर मुठ्ठीया बंद कर चिपक जाना है तुमसे ....
छोटी छोटी खुशीयो के पल , फिरसे जीना है
नन्हे नन्हे कदमो से बिना किसी स्वार्थ के पगडंडी चढना है
होके तुम्हारा तुम तक पहुँच जाना है ...
-
लिखती हु अपने मन से मन की ही बात
न किसी परीक्षा मे उत्तीर्ण होना है मुझे ना ही भाषा विशारद . हिंदी मराठी अंग्रेजी खिचडी भी लिख सकती हु . उद्देश यही होता है जो मुझे कहना है वह आप समझ जाओ वैसे तो घर परिवार मे दुसरी भाषा प्रयोग करनेवाला सदस्य आता है तब भी हम अपनाते ही तो है उन को . उतने ही प्रेम का हकदार भी तो है वह . भाषा हमारे बीच न कभी आयी ना आयेगी .-
हाल ही मे वह एक कार अपने घर ले आया था , बहुत बढ़ीया , किमती चमचमाती कार को देखकर वह बहुत आनंदीत था , फ्रेंडस ऊसके कार को देखकर Jealous हुआ करते थे , यह बडे शान से वह कार दिखाता , घुमने निकल जाता था . लेकिन समय के साथ कार अब पुरानी होने लगी थी , दोस्तो के पास भी नयी कार आ गयी थी अब कोई ज्यादा पुछने नही आता था . अब वह नयी कार ले आना चाहता था और कुछ ही समय मे नयी ब्रँड न्यू कार कोशीशे जुटाकर वह ले आया अब दोस्त भी नयी चमक धमक देखके फिर से उस की वाहह करने लगे , लेकिन पुरानी कार को वह छोडना नही चाहता था , दो चार महिने मे एक बार वह उसे चार्ज करने लेकर जाया करता था . अब उस के कलेक्शन मे दो चार पुरानी कारे थी . दोस्त वह कलेक्शन देखकर चकीत हुआ करते थे . नये के साथ पुराने का महत्व समझाता था . पुराने ने उस के बुरी हालत मे दिये साथ की वजह से वह उसे छोडना भी नही चाहता था और नयी कार को अपने जान से ज्यादा चाहने लगा था .
कुछ रिश्ते ऐसे ही आउटडेटेड हो जाते है , तब उन को विंटेज कलेक्शन का प्यारासा नाम दे कर अलग किया जाता है . लेकिन रिश्ता अब समझ गया है उस की चमक धमक कम हो गयी है . अब रिश्ते ने ही अलग होना चाहा था विंटेज बन कर कलेक्शन मे रहना उस के स्वभाव मे नही था , अब रिश्ता बहुत सुलझ गया था .-
मन का बहकावा
छल और कपट का शिकार
सदिंयो सें दबी आवाज़े
सिसकती रात़े , बेबस पल
बंद किवाड़ो मे छिपे राज
न जाने कब सें कब तक !
अचानक खुली कुंडिया
मद्धम सी रोशनी का प्रवेश
साफ दिवारों की चमक
और फिर निकली एक आह
कुछ कहती हुयी
अंर्तमन की इच्छाए
आँखो मे उभरी फिर कुछ आशाए
चहकता आंगन और
वास्तुपुरुष का तथास्तु !
-
YQ कहता है दोस्त के नाम पत्र लिखे ..
अब क्या लिखू कुछ बचा ही
नही लिखने के लिए ! खत्म हुयी दोस्ती ...-