17 की उम्र में - HIGHER STUDIES के लिए घर से बाहर जाना।
17-21- कॉलेज में तरह-तरह के लोगों की mentality समझना। रैगिंग का सामना करना, मेंटली कमज़ोर होना और फिर उसी दौरान लोगों से डील करना सीखना।
21-नौकरी ज्वाइन करना।
21 की उम्र से -Now -वर्कप्लेस पर पॉलिटिक्स झेलना। दुनिया घूमते वक़्त तरह तरह के लोगों से मिलना, लोगों का दिमाग पढ़ने की कला सीखना, स्ट्रॉन्ग बनना और ख़ुद पर डिपेंड हो जाना, घर वापसी, शादी, ज़िम्मेदारियाँ।
ज़िंदगी भर हम सब अपने प्रोग्रेस में लगे रहते हैं। मुश्किलों का सामना कर-कर के और दुनिया घूम के, हम मेंटली बहुत ही स्ट्रॉन्ग हो जाते हैं।
पर पता है कई दफ़ा काफ़ी मेंटली स्ट्रॉन्ग होने के बाद भी हम कमज़ोर पड़ जाते हैं।
इसका सिर्फ़ एक कारण है, कहीं ना कहीं हम सच का सामना ही नहीं कर पाते क्योंकी हम कंडीशंस को एक्सेप्ट नहीं कर पाते।
तो चलो अब फिर से स्ट्रॉन्ग हो जाएँ। हर किसी पर अपने कंडीशंस एप्लाई करना बंद करें। याद करें कि हमने 17-27 तक की उम्र कैसे गुज़ारी।
बीते हुए खुशियों के पलों को याद करें। और एक बात,
"कभी किसी को बदलने की कोशिश मत करना, क्योंकी बदलना हमें होगा, औरों को नहीं!" 🥰🥰
#artofliving
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