एक मां ही है जो नाराज होकर भी नाराज नहीं होती
उस मां के लिए मैं कुछ पल मुस्कुराहट ढूंढ रहा हूं।
वह जब दर्द में होती है, तब और भी ज्यादा व्यस्त रहती है
उस मां को जहां खुशी मिले, वही आकाश ढूंढ रहा हूं।
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इल्म जिंदगी क... read more
रात चांदनी हो
उसको खामोशियों सा औढ़ लू
गाने सारे आपके हो
उनको दिल में धड़कन सा भर लूं।
उदास दिल हो
उसको गमों की गहराई में उतार लू
गीत आपके हो
उनको दिल में सुकून सा संवार लूं।-
तुम्हारे आंगन की चिड़िया है
जो घर को चहका देती है!
बेटी बगिया का वह खिलता फूल है
जो घर को महका देती है!
वह तो वह सुनहरा सपना है
जो मुस्कान से तेरी हर थकान को हर लेती है!
बेटी वो आशीर्वाद है जो
तुम्हारी जमीन को पुन्नित करती है
और घर को घर होने का दर्जा देती है!
बेटी वो आरती है जो
तेरे घर को मंदिर जैसा बना देती है!
बेटी वो आशीर्वाद है जो
देवी रूप में तेरे घर जन्म लेती है!
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जिंदगी तूफान के साथ रास्ते मे मिलेगी
तुम्हे उसका
हिम्मत और मुस्कुराहट से स्वागत करना होगा!-
बहने
जब माँ नही रहती थी घर पर कभी
तब वे माँ जैसी बन जाया करती थी
बहने
जब पास कोई दोस्त नही होता था खेलने को साथ
तो वे खेल में दोस्त बन जाया करती थी
बहने
जब गलतियों की तरफ बढ़ता देखती थी बचपन मे
तो वे पिताजी की भूमिका में आ जाती थी
बहने
जो आंसुओं में भीगे नयनों में छुपाकर ख्वाब देखती है अपने भाई की खुशियों के लिए!
जो कभी माँ जैसी, मित्र जैसी, गुरु जैसी, सलाहकार बन जाती है अपने भाई के लिए!-
जैसे पूर्णिमा के
चांद का प्रकाश बरसता है
धरा पर
वैसे ही हर रोज
खुशी का नूर बरसे
बहनों पर...-
"वह धड़कता है सीने में
और बैठा है भीतर एक चिंगारी की तरह
वह जब चाहे प्रेरित करता रहता है!
उसकी बातें, स्वप्न, अदम्य साहस
फिर से प्रज्वलित करे युवाओं को
उड़ान भर सके वे अपने सपनों की
दम ना ले तब तक
जब तक ना हो
राष्ट्र अपना विकसित!" 🇮🇳
ए पी जे अब्दुल कलाम के लिए...
(विकसित भारत का स्वप्न पूरा होने का सपना! ⚡)
#APJAbdulKalam-
उतनी ही है
जितनी उम्र है...
तुम्हारे नाना के भी नाना
फिर उसके भी नाना के भी नाना
फिर उस नाना के भी नाना
और अगले उस नाना के भी नाना
नाना उसके भी अगले नाना
अगले नाना के भी नाना...
इतनी उम्र है चांद की...
जब वे बच्चे रहे होंगे
और चांद का गीत कोई गाया होगा...!!
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बचा ले पानी! 💧
जल जो तेरे भीतर है
उतना ही प्रतिशत जल बाहर भी है!
तेरे भीतर का पानी भी बचा रहना चाहिए
और बाहर का पानी भी...
तेरे ही कारण
हर एक नदी पीड़ित है
हर एक नदी दूषित है!
कल-कल बहती नदी केवल किताबी रह गयी है!
तेरे ही कारण
हर एक झरना आबाद है
तेरे ही छोड़े गए कचरे से
हर एक झरना अब बरसाती ही रह गया है!
तेरे ही कारण
बारिश का पानी जहरीला हो गया है
तेरे ही छोड़े गए जहरीले धुंए से...
शहरों की बारिश अम्लीय वर्षा करने लग गयी है!
तेरे ही कारण
भूमिगत पानी भी नही बचा है सुरक्षित
तेरे ही फैलाये प्रदूषण से...
रासायनिक उर्वरकों में घुला पानी जमीं में अंदर जा रहा है!
हर एक पानी का स्त्रोत
गुस्सा है तेरी ही गुस्ताखी से!
संभल जाओ
एक वक्त ऐसा आएगा
भीतर का पानी मायूस हो जाएगा
गर बाहर का पानी 'रूस'* गया तो...
सब कुछ असंतुलित हो जाएगा...
अभी तो शुरुआत है...
पानी बचा लो...
दोनों तरफ का
भीतर का भी और
अंदर का भी...!!"-
जिए तो ताज़गी लिए जिए! 🌸
चेहरे पर उदासियां लेकर जिए भी तो क्या जिए
खिलते हैं फूल हर मौसम में जिए तो मुस्कुराकर जिए!
हर शाम को सूरज अपने पीछे अंधेरा छोड़ जाता है
चमकते हैं तारे इसमें भी, जिए तो हंसते हुए जिए!
जाने कितने हारते है, बहुत ही कम जीत पाते हैं
हार-जीत को छोड़िए जनाब, निरंतर बढ़ते जाइए!
तुम पा सकते हो, अपने यकीन से भी ज्यादा
जरा घबराहट हटाइये, हारने पर साहस रखिए!
अपनी मुश्किलों का बोझ लेकर जिए भी तो क्या जिए
होता है हर रोज सवेरा, जिए तो ताज़गी लिए जिए!
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