मैं नारी हूँ!
नवरात्रि में दूर्गा कहीं जाने वाली
शत्रुओं का विनाश करने वाली काली हूँ,
मैं नारी हूँ!
हैवानियत का शिकार होने वाली
महाभारत रचने वाली पांचाली हूँ,
मैं नारी हूँ!
हर दिन अखबार की सुर्खियों में आने वाली
जिंदा रह कर मरने वाली कहानी हूँ,
मैं नारी हूँ!
भ्रुण हत्या का शिकार होने वाली,
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता कहे जाने वाली कहानी हूँ,
मैं नारी हूँ!
तनु मिश्रा-
महामारी के बीच
शायद केन्द्र राज्य में समन्वय दिख जाये?
और दोनों आपस में मिलकर हमें घर पहुंचा जाये!
शायद सरकारों के पास मजदूरों का सही डेटा आ जाये
और हम तक सरकार की कुछ सहायता पहुँच जाये!
शायद कंपनियों को अपने कर्मचारियों पर दया आ जाये
और उन्हें घर बैठे पैसे मिल जाये!
शायद अब ये समाज समावेशी हो जाये?
और बच्चों , किरायदारों का किराया माफकर जाये!
इतना सोचने से अच्छा है!
क्युं न गाँव चलकर
गांवों की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जाये!
प्रवासी मजदूर
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कहने को तो भारत के जवान है
पर हमारी वतन की शान है वो,
रात में चंद्रमा और दिन
में सूर्य के समान है वो।
शरहद पर परिन्दा भी पर न मार सके
इसी लिए वरदान है वो,
देश की रक्षा और हमारी सुरक्षा करने वाले
वीर जवान, हमारे लिए तो भगवान है वो।-
संविधान की आड़ में जो देश जलाते हैं
खुद को संविधान का रक्षक बताने वाले,
आये दिन हजार लोगों के अधिकारों का हनन कर जाते हैं,और शर्म तो तब आती है ,जनाब जब ये लोग संविधान बचाने के लिए,संविधान की ही झूठी क़समें भी खाने लग जाते हैं।-
मेरी बात सुनकर जब तुम उसे इग्नोर करते हों,
पप्पू की कसम मुझे बिलकुल अच्छें नहीं लगते हों!-
जितना लोग protest उस कानून के लिए कर रहे हैं जो अभी तक बना ही नहीं है(जिसके बारे में वो जानते तक नहीं है ) काश महिलाओं की सुरक्षा के लिए इसका आधा protest भी होता तो रातो रात महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कानून जरूर बन जाता
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बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ छोड़ो
पिंजड़ा लाओ और बेटी बचाओ
सरकार को नया आंदोलन चलाना चाहिए-
कि क्या कुछ नहीं सिखा देते हैं हालात,
दु:ख इस बात का नहीं
छोटी सी उम्र में घर के बड़ा बना देते हैं हालात,
दु:ख इस बात का नहीं
बच्चों से बचपना छीन लेते हैं हालात,
दु:ख इस बात का हैं
कभी कभी अर्थियाँ भी उठवा लेते हैं हालात
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