Tanay Khede  
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गंभीर जज़्बाती,वैसे हूँ शहरी पर सपने देहाती।।
Joined 27 June 2019


गंभीर जज़्बाती,वैसे हूँ शहरी पर सपने देहाती।।
Joined 27 June 2019
29 APR 2020 AT 19:36

आज एक लौ कुछ ऐसी बुझी है,
आसमाँ की आंखें हो रुआंसी सी सूजी है।।

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8 FEB 2020 AT 23:19

तुमसे पहले करुण था ये जीवन
तुम्हारे आने से श्रृंगार रस हो गया

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28 NOV 2019 AT 13:00

जहां सुकून से आगे चलती ज़रूरतों की दौड़ है।।


- तनय

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28 NOV 2019 AT 10:49

नही तो शायद तू पछताए कल,कहता रहेगा..

काश कल जी लिया होता!!
थोड़ा अपने मैं को पी लिया होता!!

पल ये कुछ और हसीन होता,
गर उस दिन अपने होठों को सी लिया होता!!

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29 JUN 2019 AT 1:16




लूटा है आशियाना पर  जिंदा हूँ  मैं ,
अपने हालातों से शर्मिंदा हूँ मैं ,

है तेरी ग़र ये औकात ,
झुलसी इन आँखों में झांक,
मेरा भी था आशियाना,
थोड़ा सा खज़ाना था मुझे भी लूटाना ..
जब ग़ुरूर टूटा तो पाया ,
आसमां की छत के नीचे,
दुनिया का बाशिंदा हूँ मैं ..

पास सम्भाले पत्ता था पीपल,
झड़ के वो जाली हो गया
बनाया था जो आशियाना, 
टूट कर अब वो खाली हो गया ..
अब  जो  लूटा ,सबकुछ  मैं  खाली
खुद  को  पा  के  हरियाली  हो  गया..

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28 JUN 2019 AT 15:35

मुस्कुरा भी लो, ये ज़िन्दगी भी मिली है पलों को थोड़ा थोड़ा समेट के।

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